स्कूलउत्तर प्रदेश के अमरोहा में तीसरी क्लास के एक बक्से को लंच बॉक्स में नॉन-वेज लेकर आने की वजह से स्कूल से निकाल दिया गया था। जिसके बाद यह मामला अदालत तक पहुंच गया। कोर्ट ने टिफिन में नॉन-वेज लेकर स्कूल आने वाले बच्चों को राहत दी और उनका दाखिला दूसरे स्कूल में कराने का निर्देश किया।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने केजी, पहली और तीसरी कक्षा में पढ़ रहे उन बच्चों को राहत दी है, जिन्हें अपने टिफिन में मांसाहार लाने के लिए अमरोहा के स्कूल से निकाल दिया गया था। जस्टिस सिद्धार्थ और जस्टिस एससी शर्मा की खंडपीठ ने अमरोहा जिले की साबरा और उनके तीन बच्चों द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए जिला मजिस्ट्रेट को दो हफ्ते के अंदर इन बच्चों का दाखिला केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) से संबद्ध किसी दूसरे स्कूल में करवाने और एक अनुपालन हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

लंच बॉक्स में बिरयानी लेकर आया था बच्चा

याचिका में कहा गया है कि तीसरी क्लास में पढ़ने वाले एक मुस्लिम लड़के और उसके दो नाबालिग भाई-बहनों के टिफिन में मांसाहार दिये जाने को लेकर स्कूल के प्रिंसिपल ने आपत्ति की थी और इन बच्चों को स्कूल से बाहर निकाल दिया गया। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि ये बच्चे केजी, पहली और तीसरी कक्षा में पढ़ रहे नाबालिग बच्चे हैं और स्कूल के इस फैसले से उनकी शिक्षा का अधिकार प्रभावित हुआ है।

गौरतलब है कि तीसरी क्लास में पढ़ने वाली 7 साल के स्टूडेंट को उसके दो भाई-बहनों के साथ लंच बॉक्स में बिरयानी लेकर आने पर सितंबर 2024 में स्कूल के प्रिंसिपल ने निष्कासित कर दिया था।

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हाई कोर्ट ने DM को बच्चों का दूसरे स्कूल में एडमिशन कराने का दिया आदेश

अदालत ने 17 दिसंबर को दिए अपने फैसले में इस मामले में 6 जनवरी, 2025 को नए सिरे से सुनवाई करने का निर्देश देते हुए कहा कि अगर जिला मजिस्ट्रेट, अमरोहा द्वारा कोई हलफनामा दाखिल नहीं किया जाता है तो उन्हें अगली तारीख पर व्यक्तिगत तौर पर पेश होना होगा। देश-दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ें jansatta.com का LIVE ब्लॉग

(भाषा के इनपुट के साथ)