इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य में तेजाब की बिक्री और डिलेवरी का नियमन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। मामले में न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह की पीठ ने यह आदेश पिछले शुक्रवार (10 जनवरी) को गैर सरकारी संगठन छांव फाउंडेशन की याचिका पर दिए हैं। अदालत ने राज्य सरकार को 31 जनवरी को एक जवाबी हलफनामा दाखिल करने के निर्देश देते हुए कहा कि सरकार इसमें यह स्पष्ट करे कि प्रदेश में तेजाब की बिक्री और उसके डिलीवरी के नियमन के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
कोर्ट ने तेजाब बिक्री पर सभी राज्यों को दिया था निर्देशः आरोप लगाया कि उच्चतम न्यायालय ने काफी पहले सभी राज्य सरकारों को अपने-अपने यहां तेजाब की बिक्री के नियमन के सिलसिले में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए थे। वे निर्देश अपराधियों द्वारा महिलाओं और लड़कियों पर तेजाब से हमले किए जाने की घटनाओं के मद्देनजर दिए गए थे। लेकिन अभी तक इस पर कोई कार्रवाई सामने नहीं आई है।
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आदेश जारी के बावजूद कोई कदम नहीं उठाया गयाः मामले में याची ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने तेजाब की बिक्री का हिसाब-किताब रखने के लिए 16 अगस्त 2013 को एक शासनादेश जारी किया था। इसके साथ 10 मई 2016 को सभी जिलाधिकारियों और जिला पुलिस प्रमुखों को इस सिलसिले में पत्र भी जारी किया था लेकिन इस दिशा में कोई भी गंभीर कार्रवाई नहीं की गई है।
कोर्ट ने मांगा राज्य सरकार से जवाबः बता दें कि अदालत ने इस मामले को बेहद गंभीर करार देते हुए राज्य सरकार से कहा कि वह वर्ष 2013 में जारी शासनादेश और 2016 में सरकार द्वारा जिलों में प्रशासन को जारी पत्र पर की गई कार्रवाई के बारे में कोर्ट को बताएं। कोर्ट ने इस बारे में जल्द से जल्द जवाब मांगा है।
