Karnataka Muslim Communities in OBC List: देश के संसाधनों पर मुस्लिमों के पहले हक को लेकर छिड़ी बहस के बीच कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। राज्य सरकार ने मुसलमानों की सभी जातियों और समुदायों को राज्य सरकार के तहत रोजगार और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के लिए ओबीसी की लिस्ट में शामिल किया है। इस बात की जानकारी खुद राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग यानी कि एनसीबीसी के द्वारा दी गई है।

कर्नाटक सरकार के पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग का कहना है कि मुस्लिम और ईसाई जैसे समुदाय न तो जाति हैं और न धर्म। 2011 की जनगणना के मुताबिक, राज्य में मुस्लिम आबादी केवल 12.92 फीसदी ही है। इसलिए इन्हें अल्पसंख्यक की श्रेणी में रखा जाता है। ओबीसी आरक्षण की कैटेगरी एक में 17 सामाजिक और शैक्षणिक रुप से पिछड़ी जातियों, कैटेगरी 2 में 19 जातियों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया है और कुल मिलाकर 393 जातियां इस लिस्ट का हिस्सा हैं।

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने सरकार के फैसले की निंदा की

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने इस फैसले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि पिछड़ी जाति के रूप में मुस्लिमों का वर्गीकरण सामाजिक न्याय के सिद्धांतों पर असर डालता है और कमजोर करता है। धर्म के आधार पर दिया गया आरक्षण साफतौर पर सामाजिक न्याय की नैतिकता को प्रभावित करता है। आयोग ने कहा कि मुस्लिम समुदाय के भीतर वंचित और हाशिए पर रहने वाले लोग मौजूद हैं। लेकिन पूरे धर्म को पिछड़ा मानने से मुस्लिम समाज के भीतर भी विविधता और जटिलताओं की अनदेखी होती है।

हंसराज अहीर ने बताया है कि मुस्लिमों को ओबीसी कोटे में लाने का फैसला मार्च 2002 में कर्नाटक की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने किया था। राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग के अध्यक्ष ने कहा है कि राज्य सरकार के इस कदम के बाद असली ओबीसी का हक छीना जा रहा है।

बीजेपी ने सिद्धारमैया सरकार को किया टारगेट

कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार को निशाने पर लेते हुए बीजेपी आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने कहा कि एक और चौंकाने वाले घटनाक्रम मे कर्नाटक सरकार ने पूरे मुस्लिम समुदाय को पिछड़े वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने कांग्रेस सरकार के फैसले की निंदा की है। इसका मतलब यह है कि मुसलमान अब भारत के संविधान का घोर उल्लंघन करते हुए हिंदू ओबीसी के लिए आरक्षण में कटौती करेंगे। पश्चिम बंगाल ने भी ऐसा किया है और यह मामला अभी न्यायाधीन है।