अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में इस साल ईद-मिलन का कार्यक्रम नहीं आयोजित किया जाएगा। यूनिवर्सिटी टीचर असोसिएशन ने यह फैसला कश्मीर के वर्तमान हालात के मद्देनज़र लिया है। टीचर असोसिएशन का कहना है कि जब कश्मीर की जनता एक अप्रत्याशित दमन के दौर से गुजर रही है, तो यहां सेलिब्रेशन भला कैसे हो सकता है। बुधवार को AMU टीचर असोसिएशन ने एक मीटिंग रखी थी और तमाम मसलों पर विमर्श किया गया। जिनमें ईद-मिलन कार्यक्रम भी शामिल था। लेकिन, जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ एकता दिखाने के लिए यूनिवर्सिटी टीचर असोसिएशन (AMUTA) ने ईद-मिलन को सेलिब्रेट नहीं करने का निर्णय लिया।
‘द टेलिग्राफ’ के मुताबिक AMUTA के मानद सचिव नजमुल इस्लाम ने बताया कि विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार ईद मिलन समारोह को स्थगित किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “हम ईद मिलन, होली मिलन और हर साल एएमयू कर्मचारियों के लिए एक वार्षिक रात्रिभोज का आयोजन करते हैं। इस साल हमें लगता है कि हमें कश्मीर के लोगों के साथ एकजुटता से खड़े रहना चाहिए और ईद मिलन का आयोजन नहीं करना चाहिए।” उन्होंने कहा, “सरकार का दावा है कि कश्मीर में स्थिति सामान्य हो रही है, लेकिन हमें अपने स्रोतों से पता चला है कि घाटी में लोग बहुत पीड़ित हैं। जब लोग सरकारी मशीनरी के हाथों अत्याचार के शिकार होते हैं तो हम जश्न नहीं मना सकते। लोगों के पास पानी, भोजन और दवा नहीं है क्योंकि सुरक्षा बल उन्हें अपने घरों से बाहर जाने की अनुमति नहीं दे रहे हैं। अस्पताल वहां काम नहीं कर रहे हैं।”
द टेलिग्राफ को बायोकेमिस्ट्री एक प्रोफेसर ने कहा, “हमें अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के खिलाफ कोई भी प्रतिक्रिया नहीं देनी। लेकिन, जमीनी हकीकत यह है कि सरकार अपने ही नागरिकों को गिरफ्तार कर रही है और उन्हें जेल में डाल रही है। जम्मू-कश्मीर के सारे जेल भर चुके हैं। लिहाजा, सरकार उन्हें उत्तर प्रदेश के जेलों में भर रही है।” मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कश्मीर से करीब 200 लोगों को यूपी की जेलों में रखा गया है। कश्मीर के लोगों को गिरफ्तार करने के तुरंत बाद ही उन्हें उत्तर प्रदेश की जेलों के लिए रवाना कर दिया गया।