अखिलेश सरकार ने फरमान जारी किया है कि एक से ज्यादा बीवी रखने वाला शख्स उर्दू शिक्षक नहीं बन सकता। सरकार ने रिटायरमेंट के बाद पेंशन की दावेदारी को लेकर होने वाली अड़चन के मद्देनजर ऐसा किया है। पर मुसलिम संगठनों ने इस आदेश या शर्त को मुसलमानों के मजहबी हक पर हमला करार दिया है। साढ़े तीन हजार उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति संबंधी शासनादेश में एक से ज्यादा शादियां करने वालों को आवेदन करने के नाकाबिल ठहराए जाने को आॅल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुसलमानों के शरई अधिकारों का हनन करार दिया है। अब इस विरोध से समाजवादी सरकार उलझन में है, क्योंकि जिस समुदाय को खुश करने की कोशिश में उसने नई नियुक्तियों का एलान किया था, वही इस ‘आपत्तिजनक’ आदेश को लेकर सड़क पर उतरने की धमकी दे रहा है।

गौरतलब है कि प्रदेश में लंबे अर्से से उर्दू शिक्षकों के पद खाली पड़े थे और इन्हें भरने की मांग चल रही थी। तीन साल पहले अखिलेश सरकार ने सत्ता पर आते ही अपने खास वोटरों को खुश करने के लिए उर्दू शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर उसने इन भर्तियों के जरिए नई तैयारी शुरू कर दी और फटाफट इसके लिए शासन ने 3500 उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे थे। इस सिलसिले में हाल में जारी शासनादेश में कहा गया है कि आवेदन के लिए जरूरी शैक्षणिक व आयु संबंधी योग्यता रखने वाले ऐसे लोग, जिनकी दो पत्नियां हैं, वे आवेदन नहीं कर सकेंगे। इसके अलावा ऐसी महिलाएं जिनके पति की दो बीवियां हैं, वे भी आवेदन के लिए पात्र नहीं होंगी।

बहरहाल प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री अहमद हसन ने बताया कि यह पाबंदी इसलिए लगाई गई है कि शिक्षक की मृत्यु के बाद पेंशन और अन्य वित्तीय लाभों के पात्र का निर्धारण करने में कोई दिक्कत नहीं हो। लेकिन इस शर्त को गलत मानते हुए आॅल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने शासनादेश में जोड़ी गई बात को मुसलमानों के शरई अधिकारों का हनन बताया है। बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि मुसलमानों के लिए चार शादियां तक करना जायज है। ऐसे में एक से ज्यादा बीवियां रखने वाले लोगों को भर्ती के लिए आवेदन से वंचित करना उनके शरई हक को छीनने जैसा है। उन्होंने कहा, ‘जहां तक भर्ती का सवाल है तो सरकार ऐसी शर्तं नहीं लगा सकती। इस्लाम में चार शादियां जायज हैं, इसके बावजूद बमुश्किल एक फीसद मुसलमान ही ऐसे हैं, जिनकी दो बीवियां हैं।’

मौलाना ने कहा कि अगर एक कर्मचारी की दो बीवियां हैं तो सरकार उसके मरने के बाद उसकी पेंशन को दो हिस्सों में बांट सकती है। अगर सरकार को कोई और दिक्कत है, तो उसके लिए रास्ता निकालने पर विचार किया जा सकता है। इस बीच, बेसिक शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि दो पत्नियों संबंधी शर्त केवल उर्दू शिक्षकों के लिए ही नहीं है, बल्कि सभी सरकारी शिक्षकों के लिए लागू है। राज्य सरकार द्वारा पिछली पांच और आठ जनवरी को जारी शासनादेश के मुताबिक उर्दू शिक्षकों की भर्ती के लिए आवेदन 19 जनवरी से लिए जाएंगे।