महाराष्ट्र में पवार परिवार के भीतर की खींचतान पिछले कुछ दिनों से मीडिया की सुर्खियों में थी। एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने शनिवार (23 नवंबर) को इसे हवा दी थी, जब उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर चुपके-चुपके सियासी खिचड़ी पकाई थी और फडणवीस की नई सरकार में खुद उप मुख्यमंत्री बन गए थे। हालंकि, तीन दिनों के अंदर ही अजित पवार ने अपने स्टैंड से यू-टर्न ले लिया और चाचा शरद पवार की शरण में लौट आए लेकिन अजित पवार के बागी बनने से लेकर घरवापसी तक की कहानी भी दिलचस्प है।
दरअसल, पवार परिवार पिछले तीन दिनों से इसके लिए लगातार कोशिशें कर रहा था। इस क्रम में बैठकों, सुलह-समझौते और मान-मनौव्वल का दौर चलता रहा। अजित पवार को मनाने के लिए शरद पवार ने खुद उनके भाई श्रीनिवास पवार, दामाद सदानंद सुले को भी लगाया लेकिन खुद बातचीत से पीछे रहे।
सूत्रों के मुताबिक सुप्रिया सुले और उनके पति सदानंद सुले ने मंगलवार को अजित पवार से एक होटल में बातचीत की और उनकी वापसी की भूमिका बनाई। इससे पहले अजित पवार की तीनों बुआ ने भी उनसे बातचीत की और परिवार में लौटने की बात कही। सुप्रिया सुले ने दादा से तो बातचीत की ही, अजित पवार के बेटे पार्थ पवार को भी अपने साथ लिया और पापा से बात करने की जिम्मेदारी उसे सौंपी।
इस मान मनौव्वल में सबसे बड़ी भूमिका शरद पवार की पत्नी प्रतिभाताई पवार ने निभाई। सुप्रिया सुले ने दादा से मां की बातचीत करवाई। अजित चाची को मां की तरह मानते हैं। चाची की बात सुनकर अजित अपने को परिवार से दूर नहीं रख सके। उन्होंने मंगलवार को दोपहर 2 बजे के करीब देवेंद्र फडणवीस से मिलकर उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया। इस बीच पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने भी अजित पवार को मनाने की कोशिश की। इनमें जयंत पाटिल अजित पवार के घर भी पहुंचे थे। एक दिन पहले सोमवार (25 नवंबर) को छगन भुजबल, दिलीप वलसे पाटिल और जयंत पाटिल ने करीब चार घंटे तक विधानसभा भवन में अजित पवार से चर्चा की थी।
सूत्र बताते हैं कि जब अजित पवार ने लौटने का मन बना रहे थे तभी शरद पवार ने मौके को समझते हुए भतीजे को फोन किया और उन्हें पहले प्यार फिर सख्ती से समझाया। इसके बाद अजित पवार फौरन मान गए। उप मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अजित पवार पहले भाई के घर गए, फिर वहां से चाचा शरद पवार से मिलने उनके घर पहुंचे। वहां सुप्रिया सुले ने खुद उनकी अगवानी की।