केन्द्र की मोदी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल को अगले 5 साल के लिए फिर से यह अहम जिम्मेदारी सौंप दी है। इसके साथ ही डोवाल को कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया गया है। बता दें कि अजित डोवाल बड़े ही तेज-तर्रार अधिकारी के तौर पर जाने जाते हैं। चीन के साथ हुए डोकलाम विवाद के दौरान भारत ने जो स्टैंड लिया, उसके पीछे एस.जयशंकर के साथ ही अजित डोवाल का दिमाग माना जाता है। इसके अलावा सर्जिकल स्ट्राइक हो या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा के अन्य मुद्दे अजित डोवाल बीते 5 सालों के दौरान मोदी सरकार के लिए काफी अहम रहे हैं।
माने जाते हैं जेम्स बॉन्डः अजित डोवाल का करियर फिल्मों के मशहूर जासूसों जैसा रहा है। अजित डोवाल कई खतरनाक अंडरकवर ऑपरेशन में हिस्सा ले चुके हैं। बता दें कि डोवाल पाकिस्तान में 7 सालों तक बतौर अंडरकवर एजेंट काम कर चुके हैं। डोवाल पाकिस्तान में एक मुस्लिम बनकर रहे और अपने मिशन के दौरान स्थानीय लोगों से दोस्ती कर उनसे अहम जानकारियां जुटाते थे। इस दौरान अजित डोवाल मस्जिदों में भी जाते थे। कई खतरनाक ऑपरेशन में शामिल होने के चलते ही अजित डोवाल को जेम्स बॉन्ड सरीखा जासूस माना जाता है।
खबरों के अनुसार, अजित डोवाल को पाकिस्तान में एक बार एक स्थानीय व्यक्ति ने पहचान लिया था कि वह एक हिंदू हैं। दरअसल अजित डोवाल के काम छिदे हुए थे। इसके बाद डोवाल ने अपनी यह पहचान छिपाने के लिए अपने कानों की सर्जरी करायी थी। इसके अलावा पंजाब में उग्रवाद के दौरान भी अजित डोवाल स्वर्ण मंदिर में आंतकियों के साथ संपर्क में थे। डोवाल ने आतंकियों को यह यकीन दिलाया था कि वह पाकिस्तानी खूफिया एजेंसी आईएसआई के एजेंट हैं। जिसके बाद उग्रवादी अजित डोवाल को ISI का एजेंट समझकर जो जानकारी देते थे, उसे डोवाल भारतीय खूफिया एजेंसियों को दे देते थे।
केरल कैडर के आईपीएस हैं डोवालः अजित डोवाल साल 1968 बैच के केरल कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं। अजित डोवाल को देश के शांतिकाल में दिए जाने वाले दूसरे सबसे बड़े सम्मान कीर्ति चक्र से भी नवाजा जा चुका है। कीर्ति चक्र पाने वाले अजित डोवाल पहले पुलिस अधिकारी हैं। अजित डोवाल ने साल 2009 में एक थिंक टैंक विवेकानन्द इंटरनेशनल फाउंडेशन (VIF) की भी स्थापना की थी।