केंद्र सरकार ने बुधवार, 28 सितंबर को एक बड़ा फैसला लेते हुए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई और आठ संगठनों को पांच साल के लिए बैन कर दिया है। इस फैसले के बाद जहां एक पक्ष इसे सही बता रहा है तो वहीं कुछ नेता PFI के अलावा RSS जैसे अन्य संगठनों पर भी बैन की मांग कर रहे हैं। इसी कड़ी में ओवैसी ने भी विरोध जताते हुए कहा कि कुछ लोगों के आपराधिक कृत्यों के चलते किसी संगठन को बैन कर देना कहां तक उचित है।
अजीत डोभाल ने की थी मुस्लिम नेताओं से चर्चा
पीएफआई पर बैन करने के मामले में बताया गया है कि मोदी सरकार ने प्रमुख मुस्लिम संगठनों से राय-मशविरा किया था। वहीं, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने 17 सितंबर को प्रमुख मुस्लिम संगठन के नेताओं से PFI और उनके जैसे कट्टरपंथी संगठनों के बारे में उनके विचारों को समझने के लिए मुलाकात की थी। जिसके बाद ही 22 सितंबर को देश भर में एनआईए, ईडी और राज्य पुलिस की छापेमारी हुई थी।
बैन को लेकर एकमत थे मुस्लिम नेता
इस कार्यक्रम में एनएसए डोभाल और इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों ने इस्लाम के देवबंदी, बरेलवी और सूफी संप्रदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले देश के सबसे बड़े मुस्लिम संगठनों की राय ली थी। ये सभी संगठन एकमत थे कि PFI या कोई भी संगठन या कोई व्यक्ति अगर देशविरोधी गतिविधियों, समुदायों के बीच नफरत फैलाने की कोशिश में लिप्त पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कानून के आधार पर कार्रवाई होनी चाहिए।
ओवैसी को बैन से क्यों है दिक्कत
इन सब पहलुओं के बीच ओवैसी ने PFI को बैन करने का विरोध जताते हुए कई ट्वीट किए। जिसमें उन्होंने कहा कि “मैं हमेशा से ही पीएफआई के तौर-तरीकों का विरोध करता रहा हूं और लोकतांत्रिक तरीकों का समर्थन किया है। लेकिन पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के फैसले का समर्थन नहीं किया जा सकता है।
ओवैसी ने आगे कहा कि इस तरह का बैन खतरनाक है। ये हर उस मुसलमान पर बैन है जो अपने मन की बात कहना चाहता है। भारत के काले कानून, यूएपीए के तहत अब हर मुस्लिम युवा को पीएफआई पैम्फलेट के साथ गिरफ्तार किया जाएगा। कुछ लोगों द्वारा आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने का मतलब यह नहीं है कि पूरे संगठन को ही प्रतिबंधित कर दिया जाए।”
बैन के बाद PFI को कर दिया गया भंग- केरल स्टेट महासचिव
सरकार द्वारा PFI पर लगाए गए बैन के बाद न्यूज एजेंसी एएनआई ने पीएफआई के केरल राज्य के महासचिव अब्दुल सत्तार के हवाले से कहा कि सभी देश के गृह मंत्रालय ने PFI पर प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना जारी की है और संगठन इस फैसले को स्वीकार करता है। ऐसे में हम PFI के सदस्यों और आम जनता को बताना चाहते हैं पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को भंग कर दिया गया है।