एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने (एएआई) ने अमृतसर , वाराणसी , भुवनेश्वर , इंदौर , रायपुर और त्रिची (तिरुच्चिराप्पल्ली) एयरपोर्ट्स के निजीकरण की केंद्र से सिफारिश की है। केंद्र सरकार ने इस साल फरवरी में सार्वजनिक – निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत परिचालन , प्रबंधन और विकास के लिए पहले ही लखनऊ , अहमदाबाद , जयपुर , मंगलुरु , तिरुवनंतपुरम और गुवाहाटी में एयरपोर्ट्स का निजीकरण कर दिया है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस साल फरवरी में छह एयरपोर्ट्स का निजीकरण किया जा चुका है। एएआई ने 5 सितंबर को निदेशक मंडल की बैठक में छह और एयरपोर्ट्स का निजीकरण करने का फैसला किया था। इनमें अमृतसर , वाराणसी , भुवनेश्वर , इंदौर , रायपुर और त्रिची शामिल हैं।

अधिकारी ने बताया कि निदेशक मंडल के फैसला लेने के बाद नागर विमानन मंत्रालय को सिफारिश भेज दी गयी है। ” उल्लेखनीय है कि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण देशभर में 100 से ज्यादा हवाई अड्डों का परिचालन करता है। इस साल फरवरी में निजीकरण के पहले दौर में अडाणी समूह को सभी 6 हवाई अड्डों के परिचालन का ठेका मिला था। एएआई ने विजेता का चुनाव ‘ प्रति यात्री शुल्क ’ के आधार पर किया था।

इससे पहले सरकार की तरफ से एयर इंडिया और पवन हंस में हिस्सेदारी बेचने की भी बात कही गई थी। इस संबंध में उड्डयन क्षेत्र से जुड़े जानकारों का कहना है कि विकास का दबाव, व्यापारिक हित और सुरक्षा का दबाव इस सेक्टर के प्रमुख मुद्दे हैं। सरकार का तर्क है कि एयरपोर्ट के निजीकरण के बाद इनका संचालन बेहतर ढंग से हो सकेगा। इससे सरकार की आमदनी बढ़ने के साथ ही यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।

सरकार पहले ही संसद में कह चुकी है कि देश में 6 एयरपोर्ट को निजी हाथों में सौंपने का प्रयोग सफल रहा है। इससे अथॉरिटी और यात्रियों दोनों को फायदा हुआ है। मालूम हो कि सरकार ने लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर, गुवाहाटी, तिरुवनंतपुरम और मंगलुरू को निजी हाथों में सौंपा था।