Air Pollution: दिल्ली और मुंबई में हवा की गुणवत्ता का स्तर दिन-ब-दिन खराब होता जा रहा है। राष्ट्रीय राजधानी में समग्र AQI कल गिरकर ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आ गया। SAFAR के सुबह 6:30 बजे के आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में, राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांस 313 AQI के साथ ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी हुई है। मुंबई में वर्तमान वायु गुणवत्ता 127 AQI के साथ ‘मध्यम’ श्रेणी में दर्ज की गई है। बीएमसी ने भी बिगड़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए गाइडलाइन जारी की हैं, जबकि दिल्ली में GRAP-II लागू किया गया है, जबकि दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय भी आज अधिकारियों के साथ अध्यक्षता करेंगे।
दिल्ली में प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों के कारण रविवार को वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ दर्ज की गई। राजधानी में इस साल 17 मई के बाद पहली बार वायु गुणवत्ता का स्तर ‘बहुत खराब’ दर्ज किया गया है। निगरानी एजेंसियों ने यह जानकारी दी।
राजधानी में पिछले 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) रविवार को 313 पर पहुंच गया, जो शनिवार को 248 था। दिल्ली में 17 मई को वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ दर्ज की गई थी। 17 मई को एक्यूआई 336 रहा था।
दिल्ली के लगभग सभी इलाकों में वायु गुणवत्ता रविवार को ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रही। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक, फरीदाबाद में एक्यूआई 322, गाजियाबाद में 246, ग्रेटर नोएडा में 354, गुरुग्राम में 255 और नोएडा में 304 एक्यूआई दर्ज की गयी।
भारत मौसम विज्ञान विभाग के अधिकारियों ने बताया कि आने वाले कुछ दिनों में भी दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता बहुत खराब रहेगी, जिसकी वजह तापमान में कमी और पराली जलाने से होने वाला उत्सर्जन है। एक अधिकारी ने कहा कि हवा की गति धीमी है और पिछले दो वर्षों के विपरीत अक्टूबर में कम बारिश हुई है। केंद्र सरकार के डिसीजन सपोर्ट सिस्टम फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (डीएसएस) ने सोमवार से पराली जलाए जाने की गतिविधियों में वृद्धि की आशंका जताई है।
दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता के आधार पर जीआरएपी को चार चरणों में बांटा गया
पहला चरण वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 201-300 यानी ‘खराब’ होने पर लागू किया जाता है। दूसरा चरण एक्यूआई 301-400 (बहुत खराब) होने पर, तीसरा चरण एक्यूआई 401-450 (गंभीर) होने पर और चौथा चरण एक्यूआई 450 से अधिक (गंभीर से भी ज्यादा) होने पर लागू किया जाता है।
पहले चरण में 500 वर्ग मीटर के बराबर या उससे अधिक के उन भूखंड पर निर्माण और तोड़फोड़ परियोजनाओं पर काम रोकने का आदेश दिया जाता है जो धूल रोकने के उपायों की निगरानी से संबंधित राज्य सरकार के पोर्टल पर पंजीकृत नहीं होते हैं। इसके अलावा पहले चरण में दिल्ली के 300 किलोमीटर के अंदर प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों और ताप ऊर्जा संयंत्रों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाती है और होटल, रेस्तरां व खुले भोजनालयों के तंदूर में कोयले और जलावन लकड़ी के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया जाता है। निर्माण और तोड़फोड़ वाले स्थलों से निकलने वाली धूल पर काबू पाने के लिए दिशानिर्देशों का उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करना भी पहले चरण के तहत आता है।
दूसरे चरण के तहत उठाए जाने वाले कदमों में व्यक्तिगत वाहनों के इस्तेमाल को कम करने के उद्देश्य से पार्किंग शुल्क बढ़ाना और सीएनजी/इलेक्ट्रिक बस और मेट्रो सेवाओं को बढ़ावा देना शामिल है।
तीसरे चरण के तहत, दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर में पेट्रोल से चलने वाले बीएस-3 इंजन वाले और डीजल से चलने वाले बीएस-4 चार पहिया वाहनों के इस्तेमाल पर रोक लगाने का प्रावधान है।
चौथे चरण में सभी प्रकार के निर्माण और तोड़फोड़ कार्यों पर प्रतिबंध लगाना शामिल है। राज्य सरकारें ऐसी स्थितियों के दौरान स्कूली छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाओं और सरकारी व निजी कार्यालयों के लिए घर से काम करने के बारे में निर्णय लेने के लिए भी अधिकृत है।