हेलीकॉप्टर के ऑटो पायलट जंक्शन बॉक्स के केबल को काटने के लिए कोर्ट मार्शल का सामना कर रहे भारतीय वायु सेना (IAF) के एक जूनियर वारंट ऑफिसर ने कहा कि उन्हें आरोप कबूल करने के लिए पीटा गया था और मजबूर किया गया था। IAF ऑफिसर का MI-17 V5 हेलीकॉप्टर के ऑटो पायलट जंक्शन बॉक्स के केबल को काटने के लिए कोर्ट मार्शल किया जा रहा है। वायु सेना स्टेशन, चंडीगढ़ में कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया के दौरान ऑफिसर ने कहा कि विमान में चूहों ने केबल को क्षतिग्रस्त कर दिया था।

केबल काटने के आरोप में वायुसेना अधिकारी का कोर्ट मार्शल

पेशे से फ्लाइट गनर आरोपी ने यह भी कहा कि उन्हें निशाना बनाया गया है क्योंकि उन्होंने डेलीगेट्स को चाय और नाश्ता परोसने वाले फ्लाइट स्टीवर्ड के कर्तव्यों को निभाने से इनकार कर दिया था। दरअसल, वायु सेना के नियमों के अनुसार फ्लाइट गनर को फ्लाइट स्टीवर्ड की अनुपस्थिति में फ्लाइट स्टीवर्ड के कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।

पीट-पीट कर लिया कबूलनामा

वायुसेना अधिकारी का आरोप है कि उन्हें सिविल ड्रेस में चार अज्ञात कर्मियों के साथ जाने का निर्देश दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें काले कपड़े से आंखों पर पट्टी बांधकर वायु सेना स्टेशन क्षेत्र के बाहर ले जाया गया और एक कार में चार से पांच घंटे तक घुमाया गया और फिर किसी स्थान पर ले जाया गया जहां उन्हें परेशान किया गया और पीटा गया।

अगले तीन दिनों में अभियुक्त ने एक इकबालिया बयान दिया जिसकी वीडियो रिकॉर्डिंग की गई और कुछ घंटों के भीतर कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी टीम सर्विस हेलीकॉप्टर से वहां पहुंची और उसके साथ सरसावा वापस लौटने से पहले उसी दिन (26 दिसंबर 2020) को शपथ पर अभियुक्त का इकबालिया बयान दोबारा दर्ज किया गया।

आरोपी ने सवाल उठाया है कि बयान दर्ज करने की क्या जल्दी थी अगर उसने बिना किसी डर और धमकी के स्वेच्छा से कबूल किया था। वहीं, आरोपों के मुताबिक हेलीकॉप्टर का केबल काटने के लिए इस्तेमाल किया गया एक पेपर कटर उसी दिन उसकी उंगलियों के निशान के साथ बरामद किया गया था।

मेडिकल परीक्षण में क्यों नहीं सामने आई पिटाई की बात

वहीं, कोर्ट मार्शल में अभियोजन पक्ष ने अधिकारी की पूरी कहानी को झूठा बताया है। अभियोजन पक्ष ने यह निष्कर्ष निकाला है कि अगर अभियुक्त को पीटे जाने की कहानी सच होती तो 16 दिसंबर को मेडिकल परीक्षण में यह बात सामने आ जाती। अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि आरोपी ने कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी में मारपीट और प्रताड़ना के बारे में कोई बयान नहीं दिया है। इसमें कहा गया है कि कोर्ट ऑफ इंक्वायरी और कोर्ट मार्शल के संचालन के बीच लगभग दो साल के अंतराल के बाद यह दावा किया गया है जोकि प्रक्रिया से बचने का एक बहाना है।

फ्लाइट स्टीवर्ड की ड्यूटी करने से मना करने पर बनाया निशाना

आरोपी ने कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के समक्ष अपने बचाव में कहा है कि शुरुआत में उसे एओसी-इन-सी के दौरे के दौरान दो बार फ्लाइट स्टीवर्ड ड्यूटी करने का निर्देश दिया गया था। उन्होंने शुरू में इन निर्देशों पर आपत्ति जताई थी क्योंकि उन्हें फ्लाइट स्टीवर्ड की ड्यूटी के लिए प्रशिक्षित नहीं किया गया था।

वायु सेना अधिकारी ने कहा कि कई उड़ानों में उन्होंने डेलीगेट्स को पानी और जलपान परोसने सहित सभी कर्तव्यों का पालन किया लेकिन दो मौकों पर उन्हें गणमान्य व्यक्तियों को ट्रे में चाय और नाश्ता परोसने के लिए कहा गया और वह वर्दी में ऐसा करने में सहज नहीं थे।