ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) चीफ और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान पर जवाबी हमला किया है। उन्होंने संघ प्रमुख से पूछा है कि वो बताएं कि शेर कौन है और कुत्ता कौन है? न्यूज एजेंसी एएनआई से ओवैसी ने कहा, ‘तो कुत्ते और शेर कौन हैं? भारत का संविधान तो सभी को मनुष्य के रूप में परिभाषित करता है। उन्हें शेर और कुत्ते के रूप में नहीं मानता है। आरएसएस के साथ परेशानी यह है कि वो भारतीय संविधान को नहीं मानता है।’ दरअसल ओवैसी की प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब शिकागो पहुंचे संघ प्रमुख ने दूसरी विश्व हिंदू कांग्रेस (डब्ल्यूएचसी) की बैठक में हजारों सालों से हिंदुओं के प्रताड़ित रहने पर अफसोस जाहिर करते हुए एक होने की अपील की और कहा कि ‘यदि कोई शेर अकेला होता है, तो जंगली कुत्ते भी उस पर हमला कर अपना शिकार बना सकते हैं।’ उन्होंने समुदाय के नेताओं से अपील की कि वे एकजुट हों और मानवता की बेहतरी के लिये काम करें। ओवैसी ने भागवत के इसी बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी।
So who are dogs and the lion? Indian Constitution defines everyone as humans & doesn’t treat them as dogs or lion. The problem with RSS is that they don’t believe in Indian constitution: A Owaisi on RSS Chief’s statement, “if a lion is alone, wild dogs can invade & destroy it” pic.twitter.com/XLipWRiO0e
— ANI (@ANI) September 8, 2018
बता दें कि डब्ल्यूएचसी शामिल 2500 प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि हिंदुओं में अपना वर्चस्व कायम करने की कोई आकांक्षा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘हिंदू समाज तभी समृद्ध होगा जब वह समाज के रूप में काम करेगा।’ भागवत ने कहा, ‘हमारे काम के शुरुआती दिनों में जब हमारे कार्यकर्ता हिंदुओं को एकजुट करने को लेकर उनसे बातें करते थे तो वे कहते थे कि ‘शेर कभी झुंड में नहीं चलता’। लेकिन जंगल का राजा शेर या रॉयल बंगाल टाइगर भी अकेला रहे तो जंगली कुत्ते उस पर हमला कर अपना शिकार बना सकते हैं।’ हिंदू समाज में सबसे अधिक प्रतिभावान लोगों के होने का जिक्र करते हुए आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘‘हिंदुओं का एक साथ आना अपने आप में एक मुश्किल चीज है।’ उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में कीड़े को भी नहीं मारा जाता है, बल्कि उस पर नियंत्रण किया जाता है।
भागवत ने कहा, ‘‘हिंदू किसी का विरोध करने के लिए नहीं जीते। हम कीड़े-मकौड़ों को भी जीने देते हैं। ऐसे लोग हैं जो हमारा विरोध कर सकते हैं। आपको उन्हें नुकसान पहुंचाए बगैर उनसे निपटना होगा।’ उन्होंने कहा कि हिंदू वर्षों से प्रताड़ित हैं, क्योंकि वे हिंदू धर्म और आध्यात्म के बुनियादी सिद्धांतों पर अमल करना भूल गए हैं। सम्मेलन में हिस्सा ले रहे लोगों से भागवत ने अपील की कि वे सामूहिक रूप से काम करने के विचार को अमल में लाने के तौर-तरीके विकसित करें। भागवत ने कहा, ‘हमें एक होना होगा।’ उन्होंने कहा कि सारे लोगों को किसी एक ही संगठन में पंजीकृत होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, ‘यह सही पल है। हमने अपना अवरोहण रोक दिया है। हम इस पर मंथन कर रहे हैं उत्थान कैसे होगा। हम कोई गुलाम या दबे-कुचले देश नहीं हैं। भारत के लोगों को हमारी प्राचीन बुद्धिमता की सख्त जरूरत है।’ भागवत ने कहा कि आदर्शवाद की भावना अच्छी है, लेकिन वह ‘आधुनिकता विरोधी’ नहीं हैं और ‘भविष्य हितैषी’ हैं। (अन्य इनपुट सहित)