ज्ञानवापी मामले को लेकर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मोहन भागवत के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि क्या मुसलमान उनके रहमोकरम पर भारत में रहता है? दरअसल बीते दिनों संघ प्रमुख ने कहा था कि ज्ञानवापी की बात अलग है लेकिन हर मस्जिद में शिवलिंग को लेकर रोज एक नया विवाद खड़ा करने की जरूरत नहीं है।
ओवैसी ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से टीवी पर जो तमाशा चल रहा है, ज्ञानवापी में फव्वारे को क्या-क्या कहा जा रहा है, ये सब कौन लोग हैं? क्या उनका ताल्लुक मोहन भागवत से नहीं है? ओवैसी ने कहा, “बजरंग दल को 1984 में बनाया गया, जिसका मकसद राम मंदिर, काशी और मथुरा के मंदिर से जुड़ा था।” वहीं उन्होंने मोहन भागवत के ताजा बयान पर कहा, “ये संघ की पुरानी चाल है।”
क्या था मोहन भागवत का बयान: बीते दिनों नागपुर में संघ शिक्षा वर्ग के समापन समारोह को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि इतिहास को हम बदल नहीं सकते। इसे न आज के हिंदुओं ने बनाया और न आज के मुसलमानों ने, हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों तलाशना है? यह ठीक नहीं है।
मुजरिम को भोजन-स्नान की जगह मिलती है तो ज्ञानवापी में भगवान की पूजा-भोग पर मनाही क्यों- बोले अविमुक्तेश्वरानंद
बता दें कि वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में हुए सर्वे के बाद हिंदू पक्ष का दावा है कि वहां पर शिवलिंग मौजूद है। जिसके बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद वहां पूजा करने को अड़ गए हैं। उन्होंने कहा है कि जबतक वे ज्ञानवापी में पूजा नहीं कर लेते, तबतक अन्न ग्रहण नहीं करेंगे।
एक निजी चैनल से बात करते हुए उन्होंने कहा, “हमारी मुख्य मांग है कि कोई देवता अपूजित ना रहें। सीमित ही हो लेकिन पूजा हो। रोज कम से कम एक लोटा पानी, 2 रोटी जल के साथ थाली उन्हें मिल जाए। क्योंकि किसी भी प्राणवान वस्तु के प्राणों की रक्षा जरूरी है। इसलिए भोग लगना बहुत जरूरी है।
अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि हमारे संविधान ने भी सभी के प्राणों और देह की रक्षा की बात की है। हत्या के बाद जब कोई मुजरिम जेल जाता है तो उसे भी सरकारी पैसे से भोजन और स्नान करने की सुविधा मिलती है। लेकिन ज्ञानवापी में हमें स्तुति और पूजा करने का अवसर नहीं मिल रहा है।
अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, “हमारे देवता अभी तक अदृश्य थे लेकिन कोर्ट की कार्यवाही के चलते वो दिख गये हैं। ऐसे में उनकी पूजा करने का हमारा दायित्व बन जाता है। कोर्ट हमें ना जाने दे तो किसी एक व्यक्ति को ही नियुक्त कर दे, जिससे लोगों में संतोष हो कि कम ही सही लेकिन पूजा हो रही है। लेकिन इसकी इजाजत हमें नहीं मिली है।”
उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट में प्रमाणों के आधार पर जब साबित हो जाएगा कि वह शिवलिंग नहीं फव्वारा है, तो ऐसे में हम पूजा करना बंद कर देंगे।
बता दें कि अविमुक्तेश्वरानंद का जन्म उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में हुआ और वे जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य हैं। उनका मूलनाम उमाशंकर है। प्रतापगढ़ में प्राथमिक शिक्षा लेने के बाद उन्होंने गुजरात में संस्कृत की शिक्षा ली।