पिछले साल नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंदुस्तान शिखर समागम के मंच पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी और बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशू त्रिवेदी के बीच तीखी बहस देखने को मिली थी।
इस कार्यक्रम के दौरान सुधांशू त्रिवेदी ने कहा “आज़ादी के समय मुस्लिमों की कितनी सारी रियायतें थी। लेकिन अब सब मजलूम हो गई, पता है क्यों? क्योंकि सेकुलरिज्म के जाल में ऐसे फंसे कि ऊलजलूल हो गए।” इसपर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा “अगर नरेंद्र मोदी जी सुधांशु साहब को 2024 तक मानती नहीं बनाए तो मुझे यकीन है कि य बहुत बड़े शायर बन जाएंगे, और मुझे इस बात का यकीन भी है कि इन्हें कभी मंत्री नहीं बनाएंगे। क्योंकि इनका हाथ में देख चुका हूं।”
ओवैसी ने कहा “असम में एनआरसी हुआ जिसमें 19 लाख लोगों के नाम नहीं आए। इसमें 14 लाख गैर मुस्लिम थे और पांच लाख बांग्ला बोलने वाले मुस्लिम हैं। बीजेपी सीएए के जरिए 14 लाख लोगों को नागरिकता देना चाहती है। असम में मुख्यमंत्री ने यही बात कही। यही काम पूरे देश में करना चाहते हैं। एनपीआर ना सिर्फ मुस्लिम विरोधी है, बल्कि दलित विरोधी है, हिंदू विरोधी है और गरीब विरोधी है।”
असदुद्दीन ओवैसी ने आगे कहा,”असम में 13 लाख गैर मुस्लिमों को बीजेपी बचाना चाहती है। एनपीआर और एनआरसी मुस्लिम विरोधी हैं। मजहब के नाम पर सीएए बनाया गया और अंतरराष्ट्रीयकरण किया गया। एनपीआर और एनआरसी सिटिजनशिप एक्ट में है। एनपीआर होगा तो एनआरसी होगी ही। असम का ये उदाहरण पूरे देश में लागू करना चाह रहे हैं।”
बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा “शाहीन बाग का आंदोलन विचित्र आंदोलन है। शाहीन बाग में चार पांच हजार लोग बैठे हैं लेकिन चार पांच प्रतिनिधि नहीं चुन पा रहे हैं। ना लिखित मांगे और ना ही कोई प्रतिनिधि हैं। हनुमान चालीसा पढ़कर चुनाव जीतने वाले भी शाहीन बाग नहीं गए।”
इसपर ओवैसी ने कहा,” बीजेपी ने भी शाहीनबाग को मुद्दा बनाया लेकिन हार गए। सबको उतारा, शाहीनबाग एक ऑर्गेनिक प्रोटेस्ट हो रहे हैं। ये हमारे हाथ में नहीं है। लोग संविधान को बचाने के लिए उतरे हैं।”