Artificial Intelligece In Indian Army: भारत और पाकिस्तान संघर्ष से सबक लेते हुए इंडियन आर्मी कुछ बड़े बदलावों की तैयारी कर रही है। अपनी ताकत बढ़ाने के लिए अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का और ज्यादा इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा किस तरह से सैटेलाइट के जरिए और सटीक तस्वीरें और जानकारी मिल सकती है, इस पर भी काम शुरू हो रहा है। आने वाले सालों में ये सारे बदलाव भारतीय सेना में दिखने शुरू हो जाएंगे।
एआई की जरूरत क्यों पड़ी है?
बताया जा रहा है कि इंडियन आर्मी को एआई का सबसे ज्यादा इस्तेमाल अपने ड्रोन्स मिशन, बैटलफील्ड मॉनिटर्निंग में करना है। सेना हर कीमत पर खुद को इनफॉर्मेशन वॉरफेयर में आगे रखना चाहती है, वो डेटा के आधार पर अपना हर फैसला लेना चाहती है। अगर सबकुछ तय रणनीति के तहत होता है तो उस स्थिति में 2026-27 तक एआई, मशीन लर्निंग और बिग डेटा एनालिटिक्स का आर्मी में प्रभावी तरीके से इस्तेमाल शुरू हो जाएगा।
टास्क फोर्स बनाने की तैयारी
इंडियन एक्सप्रेस को सूत्रों से पता चला है कि सेना सबसे ज्यादा प्राथमिकता बैटलफील्ड अवेयरनेस को दे रही है। किस तरह से भारी मात्रा में आई जानकारी को कम समय में डीकोड किया जाए, इस पर काम किया जा रहा है। इसके अलावा एआई पावर्ड चैटबॉट्स, वॉइस टू टेक्स्ट सिस्टम, फेस रिकग्निशन को भी शामिल करने का प्रयास जारी है। ड्रोन के जरिए भी जो जरूरी डेटा मिलेगा, सैटेलाइट से जो तस्वीरें आएंगी, उन्हें भी एआई की मदद से ही डीकोड करने की बात हो रही है।
खबर तो यह भी है कि इस काम में किसी भी तरह की देरी ना हो, इसलिए एक टास्क फोर्स बनाने की बात हुई है। Directorate General of Information Systems (DGIS) के अंतर्गत एआई टास्क फोर्स बनाने की तैयारी है जिसमें आर्मी के ही अलग-अलग विभागों से कई एक्सपर्ट्स को शामिल किया जाएगा। एआई तकनीक की वजह से आर्मी का नेविगेशन सिस्टम भी और ज्यादा मजबूत होने वाला है, जहां पर भी जीपीएस काम नहीं करेगा, एआई सबसे बड़ा सहारा बनेगा।
सैटेलाइट की दिशा में भी बड़े कदम
अब एक तरफ सेना एआई तकनीक का इस्तेमाल करने जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ सैटेलाइट तस्वीरों का भी सही तरीके से प्रयोग हो, इस पर भी चर्चा शुरू हो चुकी है। बताया जा रहा है कि इस समय इंडियन आर्मी कई ग्लोबल सैटेलाइट प्लेयर्स के साथ चर्चा में है, उनके जरिए जरूरत पड़ने पर बैटलफील्ड की सबसे सटीक तस्वीरें मिल सकें, इसकी कोशिश है। असल में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जिस तरह से चीन ने पाकिस्तान को सैटेलाइट सिस्टम के जरिए लाइव इनपुट दिए, उससे सबक लेते हुए भारत भी अपनी रणनीति पर काम कर रहा है।
इस समय Maxar Technologies से भी बात चल रही है, दुनिया की कुछ सबसे एडवांस सैटेलाइट्स को यह कंपनी हैंडल करती है, तीस सेंटिमीटर तक के रिजॉल्यूशन वाली तस्वीरें भी क्लिक कर सकती हैं। ऐसे में इंडियन आर्मी भी किसी युद्ध के दौरान ऐसी ही जानकारी चाहती है।
स्वदेशी सैटेलाइट भी कारगर
वर्तमान में भारत के अपनी Cartosat और RISAT सैटेलाइट है जो काफी सटीक जानकारी देती है, दुश्मनों को ट्रैक करने में भी कारगर है। इन सैटेलाइट्स की मदद से रीयल टाइम इनफॉर्मेशन भी मिलती है। लेकिन जानकार मानते हैं कि उनकी कुछ लिमिटेशन भी हैं और उसी वजह से अब ग्लोबल प्लेयर्स का रुख करना पड़ रहा है।
Amrita Nayak Dutta, Aanchal Magazine और Anil Sasi की रिपोर्ट