देशभर में केंद्र सरकार की सेना में भर्ती की नई योजना ‘अग्निपथ’ का विरोध देखने को मिल रहा है। बिहार, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, एमपी, राजस्थान और हरियाणा समेत कई राज्यों में इस योजना के खिलाफ जारी छात्रों का प्रदर्शन हिंसक हो गया है। इस हिंसा के दौरान एक शख्स की मौत भी हुई है। हालांकि, छात्रों की आपत्तियों को देखते हुए केंद्र सरकार ने अग्निपथ योजना में ऊपरी उम्र सीमा को 21 से बढ़ाकर 23 साल कर दिया है। सरकार का कहना है कि पिछले दो साल में कोई भर्ती नहीं हुई थी। लेकिन लेकिन यह एकमुश्त छूट भी समस्या बन सकती है।
भर्ती के आंकड़ों से पता चलता है कि अग्निपथ योजना के तहत इस साल 46,000 सैनिक भर्ती किए जाएंगे, जो तीनों सेवाओं के लिए 2015 के बाद से सबसे कम होगी। दो सालों में एक भी भर्ती न होने के बाद अग्निपथ योजना के तहत पहले साल होने वाली 46000 भर्तियों के लिए आयु में छूट के बाद अधिक उम्मीदवार आएंगे। जबकि, सरकार ने 2022 के लिए इस संख्या को बढ़ाने का अभी तक कोई संकेत नहीं दिया है न कोई मंशा जताई है।
इस साल मार्च में, रक्षा मंत्रालय द्वारा संसद में पेश किए गए भर्ती आंकड़ों के अनुसार, पिछले सात वर्षों में सेना के लिए सैनिकों की भर्ती (अधिकारी रैंक से नीचे) 2019-2020 में 80,572 के साथ सबसे अधिक रही। उसके बाद से वर्षों से कोई भर्ती नहीं की गई है। इन आंकड़ों के मुताबिक, 2015 से 2020 के बीच सेना ने हर साल औसतन 50,000 से अधिक सैनिकों की भर्ती की।
2019-2020 में हुई थी सबसे अधिक सैनिकों की भर्ती: 2015-2016 में सेना ने देश भर से 71,804 सैनिकों की भर्ती की, जो 2016-217 में घटकर 52,447 हो गई। 2017-2018 में सेना ने और भी कम लोगों की भर्ती की जिसकी संख्या 50,026 थी। इसके बाद 2018-2019 में यह बढ़कर 53,431 हो गई। सबसे बड़ी भर्ती 2019-2020 में हुई थी जब सेना ने रैलियों के जरिए 80,572 भर्तियां की थीं।
ये संख्या केवल सेना के लिए है, जबकि इस साल 46,000 अग्निवीर तीनों सेवाओं के लिए भर्ती किए जाएंगे। सूत्रों ने कहा कि अग्निपथ योजना के पहले चार वर्षों में तीन सेवाओं में शामिल 2 लाख से थोड़े अधिक (202,900) अग्निवीर शामिल किए जाएंगे, जिनमें से लगभग 175,000 सेना के लिए होंगे। इस लिहाज से, अगले चार वर्षों में तीनों सेवाओं के लिए हर साल औसतन लगभग 50,000 अग्निवीरों की भर्ती की जाएगी। नई नीति के खिलाफ उबाल ग्रामीण इलाकों में अधिक दिखाई दे सकता है क्योंकि सेना के लिए भर्ती के आंकड़ों के मुताबिक, तीन चौथाई से अधिक रंगरूट गांवों से आते हैं।