भारत द्वारा पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया गया था। अब भारत सरकार सिंधु जल संधि से जुड़ी नदियों पर विभिन्न प्रोजेक्ट्स पर काम करने की योजना बना रही है। न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी है कि सरकार लंबे समय से रुकी हुई तुलबुल परियोजना को फिर से शुरू करने की योजना पर आगे बढ़ रही है।

सूत्रों ने पीटीआई को यह भी जानकारी दी कि सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) के तहत पश्चिमी नदियों से देश के हिस्से के पानी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।

उन्होंने बताया कि तुलबुल परियोजना के लिए एक DPR तैयार की जा रही है और इसके पूरा होने में लगभग एक साल का समय लगने की उम्मीद है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसके बाद ही हम कोई निर्णय लेंगे। उन्होंने पुष्टि की कि परियोजना को फिर से पटरी पर लाने के लिए चर्चा अग्रिम चरण में है।

सिंधु जल संधि के तहत पश्चिमी नदियों पर भारत का सीमित अधिकार

सिंधु जल संधि के तहत भारत के पास सिंधु, चिनाब और झेलम पर सीमित अधिकार हैं। ये नदियां मुख्य रूप से पाकिस्तान में बहती हैं। हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि इन नदियों से भारत के हिस्से के पानी के उपयोग को बढ़ाने के लिए कई प्रस्ताव विचाराधीन हैं।

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एक अधिकारी ने कहा, “पश्चिमी नदियों में से एक का पानी पंजाब और हरियाणा की ओर ले जाने की संभावना है, जो तकनीकी रूप से संभव है।”

हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि सिंधु नदी के पानी के लिए ऐसा करने पर विचार नहीं किया जा रहा है। इस बीच किशनगंगा जलविद्युत परियोजना, जिस पर कभी पाकिस्तान ने आपत्ति जताई थी, पहले ही पूरी हो चुकी है। रतले परियोजना के निर्माण में भी तेजी लाई गई है। सिंधु जल संधि क्या है?