गुजरात के हड़प्पा काल के शहर धोलावीरा को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। संयुक्त राष्ट्र के संगठन ने मंगलवार को यह जानकारी दी। संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने ट्वीट किया, ‘धोलावीरा : भारत में, हड़प्पाकालीन शहर को विश्व धरोहर सूची में अभी-अभी शामिल किया गया। बधाई हो!’यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति के 44 वें सत्र में भारत को तेलंगाना में रूद्रेश्वर/रामप्पा मंदिर के रूप में एक नया विश्व धरोहर स्थल मिला है, जो 13 वीं सदी का है।
गुजरात में अब तक तीन विश्व धरोहर स्थल थे, जिनमें पावागढ़ के निकट चंपानेर, पाटन में रानी की वाव और एतिहासिक शहर अहमदाबाद शामिल हैं।
विश्व धरोहर समिति के इस सत्र की अध्यक्षता चीन में फुझोऊ से की जा रही है और यह आॅनलाइन किया जा रहा है। यह 16 जुलाई को शुरू हुआ था और 31 जुलाई को संपन्न होगा।
संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने एक ट्वीट में कहा, ‘मुझे भारतवासियों से यह साझा करते हुए अपार हर्ष हो रहा है कि अब धोलावीरा के रूप में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची भारत का 40 वां स्थल शामिल हो गया है।’ उन्होंने कहा कि आज भारत के लिए, विशेष रूप से गुजरात के लिए गर्व का दिन है।
उन्होंने कहा, ‘2014 से विश्व धरोहर सूची में भारत के 10 नए स्थान शामिल किए गए हैं जो हमारे ऐसे स्थलों का एक चौथाई हिस्सा है…।’’उल्लेखनीय है कि तेलंगाना के वारंगल जिले के समीप स्थित रामप्पा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध ऐतिहासिक रुद्रेश्वर मंदिर को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर कर दर्जा प्रदान किया गया है।
वारंगल से लगभग 60 किमी दूर स्थित रुद्रेश्वर मंदिर का निर्माण 1213 ईस्वी में काकतीय साम्राज्य के शासनकाल के दौरान काकतीय राजा गणपति देव के एक सेनापति रेचारला रुद्र ने कराया था। यह मंदिर भगवान शिव को सर्मिपत है। करीब 800 साल पुराने इस मंदिर के निर्माण में लगभग 40 साल का समय लगा था और मंदिर के मूर्तिकार के नाम पर इसे रामप्पा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

