जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर हुए आतंकी हमले के बाद सेना भी कड़ी रुख अख्तियार करती नजर आ रही है। खबर है कि सेना ने 150 लड़ाकू विमान पश्चिम की दिशा में तैनात किए हैं और यह कारवाई के तैयार हैं। इन विमानों में जगुआर से लेकर मिराज 2000 तक शामिल है जिनका प्रदर्शन वायु शक्ति अभ्यास के दौरान किया जाना है लेकिन ये विमान कारवाई के लिए तैयार हैं।

एलओसी पर पाकिस्तान द्वारा भेजे जाने वाले आतंकियों को सबक सीखाने के लिए पूर्ववर्ती सीमा से लेकर सीमा पार तक के लिए सटीक मिसाइल हमले और तोप के ऊपरी स्तर पर जमीनी कार्रवाई के लिए भारत इन विमानों का इस्तेमाल करेगा। उरी हमले के बाद जिस तरह की कारवाई सेना ने की थी फिलहाल उस विकल्प के अलावा कोई और विकल्प नजर नहीं आ रहा है। पीओके भले ही पाकिस्तान का हिस्सा हो लेकिन मौजूदा वक्त में पाकिस्तान पर दंडात्मक कारवाई कर दबाव बनाना ही विकल्प है।

आतंकियों के अलावा पाकिस्तानी सेना पर भी कारवाई से ही पाक सेना को सबक मिलेगा। रिटायर्ड जनरल डीएस हुड्डा का कहना है कि पाक को इस बात का एहसास कराना होगा कि भारत में आतंक प्रायोजित करना वाजिब नहीं होगा। आतंकी कैंप को हमला को तबाह करने से संदेश जाने के साथ-साथ पाकिस्तान पर भी दवाब बनेगा

हवाई हमले या ब्रम्होस मिसाई से हमला करना एक विकल्प हो सकता है जिससे एलओसी पर दबाव बनाया जा सकता और दुश्मनों को करारा जबाव दिया जा सकता है। रजौरी और पुंछ में पहले से ही दबाव बरकरार है। सीमा पर पहले से तैनान जवानों द्वारा गोलीबारी के जवाब की घटना सामने आती रहती है जिससे सीमा पर तनाव जारी है।सीमा पार बड़ी कारवाई करने से ही एलओसी पर सुरक्षा बढ़ेगी और घुसपैठ में कमी आएगी।सीमा पार से आतंक रोकने के लिए आखिरी बार 2003 में फेंनसिंग की गई थी। इससे अलावा आतंकियों के संदिग्ध ठिकानों और पोस्ट को चिन्हित कर वहां कारवाई की जा सकती है।

इसके अलावा सेना द्वारा खतरनाक इलाके जैस भीमबर गली में ऐसी कारवाई कर इस जगह को ज्यादा सुरक्षित बनाया जा सकता है। पुंछ और उरी को जोड़ने वाले हाजी पास सेना के लिए सबसे खतरनाक साबित होती आई है। 1965 में भारत ने इस जगह पर कब्जा जमाया था लेकिन युद्द के बाद समझौते में भारत ने यह जगह पाकिस्तान को लौटा दी थी। हालांकि सेना के अधिकारियों का कहना है कि ऐसे ऑपरेशन से तनाव बढ़ने की गुंजाइश रहेगी।ऐसे ऑपरेशन सीमित कारवाई से कही ज्यादा समझी जाएगी।