Agnipath Scheme Reassessment: केंद्र सरकार ने जब अग्निवीर योजना को शुरू किया था तो इसका जबरदस्त विरोध हुआ था। विपक्ष का कहना था कि इस योजना में युवाओं के साथ भेदभाव किया जा रहा है और सरकार को इस योजना को वापस लेना चाहिए लेकिन आर्मी, नेवी और एयरफोर्स अग्निपथ योजना की समीक्षा कर रहे हैं और सशस्त्र बलों में अग्निवीरों की संख्या बढ़ाने पर चर्चा चल रही है।
अग्निपथ योजना के तहत सेना के तीनों अंगों में अग्निवीरों को 4 साल के लिए भर्ती किया जाता है। 4 साल पूरे होने के बाद अधिकतम 25% अग्निवीरों को ही स्थाई तौर पर सेना में रखा जाता है।
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‘एक्सीलेंट’ पाया गया अग्निवीरों का प्रदर्शन
पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में चल रहे आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की तो उसके बाद इस बात को लेकर चर्चा हुई है कि सशस्त्र बलों में अग्निवीरों की संख्या को बढ़ाया जाए। सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि ऑपरेशन सिंदूर में अग्निवीरों का प्रदर्शन ‘एक्सीलेंट’ पाया गया है। अग्निवीरों का पहला बैच 2026 के अंत तक तैयार हो जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, सेना में अग्निवीरों के 25% के अनुपात को बढ़ाने को लेकर चर्चा चल रही है। यह कहा जा रहा है कि इन्फेंट्री और दूसरे लड़ाकू बलों में 70 से 75%, एयर डिफेंस, सिग्नल्स, इंजीनियर्स आदि में 80% और स्पेशल फोर्सेस में अग्निवीरों को 100% तक करने पर चर्चा चल रही है हालांकि इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि अग्निवीरों की औसत उम्र में अधिक बढ़ोतरी न हो। अग्निवीर की आयु सीमा 17.5 वर्ष से 21 वर्ष है।
सेना में अग्निवीरों के प्रतिशत को लेकर काफी विचार-विमर्श होना बाकी है।
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वायुसेना प्रमुख ने किया था समर्थन
वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने कहा था कि अग्निवीरों को लेकर अच्छा रिस्पांस मिला है और उनकी संख्या को 25% से आगे बढ़ाया जा सकता है। कुल मिलाकर ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेना के तीन अंगों में अग्निवीरों की अहमियत बढ़ी है और इससे इनकी संख्या में भी इजाफा हो सकता है।