भारत और तालिबान शासित अफगानिस्तान के बीच पहली उच्च स्तरीय बैठक हुई। बैठक के कुछ घंटों बाद तालिबान ने घोषणा की कि उन्होंने भारत से अफगान व्यापारियों, रोगियों और छात्रों को वीजा जारी करने का आग्रह किया है। अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हाफिज जिया अहमद ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि वीजा जारी करने का अनुरोध कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने विदेश सचिव विक्रम मिस्री को बुधवार को दुबई में मुलाकात के दौरान बताया।

ये रही तीन बड़ी मुश्किलें

बता दें कि वीजा देने का मुद्दा कठिन है और मुख्य रूप से तीन कारणों से यह एक मुश्किल काम है। पहला तो भारत सरकार आधिकारिक तौर पर तालिबान सरकार को मान्यता नहीं देती है। दूसरा भारतीय सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने अफगानिस्तान से वीजा चाहने वालों के बारे में सुरक्षा खतरे की धारणाओं को चिह्नित किया है। वहीं तीसरा साथ ही भारत सरकार के पास काबुल में भारतीय दूतावास या अफगानिस्तान में कार्यात्मक वाणिज्य दूतावासों में एक कार्यात्मक वीजा सेक्शन नहीं है।

भारतीय सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए अफगानी विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी और तालिबान प्रतिनिधिमंडल ने भारतीय पक्ष को आश्वासन दिया कि भारत की यात्रा करने वालों से कोई खतरा नहीं होगा। तालिबान ने कहा कि वे वीजा दिए जाने वालों की जांच सुनिश्चित करेंगे। लेकिन भारत सरकार के लिए यह एक बहुत ही पेचीदा मुद्दा है क्योंकि अगस्त 2021 में तालिबान द्वारा देश पर कब्ज़ा करने के बाद से वह अफ़गानों को वीज़ा जारी करने में बहुत सख्त रही है।

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तालिबान द्वारा काबुल पर कब्ज़ा करने और अशरफ़ ग़नी के नेतृत्व वाली अफ़गान सरकार के गिरने के बाद भारत सरकार ने चार दिन बाद अफ़गानी नागरिकों को पहले जारी किए गए सभी वीज़ा रद्द करने का फैसला किया।

जिन अफ़गानी नागरिकों के पासपोर्ट पर फिजिकल वीज़ा था, वे अब भारत की यात्रा नहीं कर पा रहे थे। सभी संबंधित एयरलाइनों को इस निर्णय के बारे में सूचित किया गया था, जिसमें निर्देश दिए गए थे कि वे अफ़गान नागरिकों को भारत जाने वाली उड़ानों में सवार न होने दें। भारत सरकार ने अफगानी नागरिकों के लिए ‘E-Emergency X-Misc’ वीज़ा की एक नई श्रेणी शुरू की, जो भारत की यात्रा करना चाहते थे। इसलिए उन अफ़गान नागरिकों को ई-वीज़ा पोर्टल पर भारतीय वीज़ा के लिए आवेदन करने की सलाह दी गई। केवल वे अफ़गान नागरिक जिनके पास ब्यूरो ऑफ़ इमिग्रेशन द्वारा जारी ‘E-Emergency X-Misc’ वीज़ा के लिए इलेक्ट्रॉनिक यात्रा प्राधिकरण था, उन्हें ही भारत जाने वाली उड़ानों में सवार होने की अनुमति दी गई थी। भारत में उच्च शिक्षा प्राप्त करने और आगे की पढ़ाई जारी रखने के इच्छुक कई छात्र घर पर ही फंस गए थे, लेकिन उस समय भारत सरकार ने वीज़ा न देने का फ़ैसला किया।

छात्रों को होगा फायदा

विदेश मंत्रालय ने शिक्षा मंत्रालय और उच्च शिक्षा निकायों तथा उन विश्वविद्यालयों के साथ समन्वय करके, (जहां अफगान छात्र पहले से ही नामांकित थे) विश्वविद्यालयों से अफगानिस्तान और विदेशों में अफगान छात्रों के लिए ऑनलाइन पाठ्यक्रम और कक्षाएं शुरू करने को कहा था। भारत उन अफगानों को अनुमति देने में विचार कर रहा था जो चिकित्सा उपचार के लिए भारत आना चाहते थे। कुछ अफगान व्यापारी जो दशकों से व्यापार कर रहे थे, वह भी आना चाहते थे।

अब तालिबान अपनी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के प्रबंधन में कठिनाइयों का सामना कर रहा है। वह चाहता है कि अफगानों को चिकित्सा उपचार के लिए भारत आने की अनुमति दी जाए। हाफ़िज़ ज़िया अहमद के अनुसार दुबई में जब मिले तो दोनों पक्ष वीज़ा और व्यापार की सुविधा देने पर सहमत हुए। बैठक पर भारत सरकार के बयान में इसका जिक्र नहीं किया गया। इसमें केवल इतना कहा गया कि विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने अफगान लोगों की तत्काल जरूरतों पर प्रतिक्रिया देने के लिए भारत की तत्परता से अवगत कराया।

सूत्रों ने कहा कि विदेश मंत्री मुत्ताकी दुबई में बैठक के लिए तैयार होकर आए थे। उनके साथ वाणिज्य और परिवहन मंत्रालय के अधिकारी भी थे। सूत्रों ने कहा कि तालिबान अपने शासन को आधिकारिक वैधता प्रदान करने में भारत की हिचकिचाहट से अवगत हैं, लेकिन अपनी समस्याओं और चुनौतियों के लिए समाधान चाहता है।