अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्ताकी ने भारत के लोगों को अपने देश में काम करने का न्योता दिया है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में अस्पतालों, बिजली और खदानों के क्षेत्र में काम करने के लिए बड़ी संभावनाएं हैं, और भारत के लोग वहां चलकर काम करें। उनका वहां स्वागत किया जाएगा।
शुक्रवार को नई दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए मुत्ताकी ने बताया कि भारत और अफगानिस्तान के बीच एक व्यापार समिति बनाने पर सहमति बनी है। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि भारतीय कंपनियां और लोग अफगानिस्तान में आकर काम करें। हमारे यहां अस्पतालों में डॉक्टरों, खदानों में तकनीकी विशेषज्ञों और बिजली के क्षेत्र में कुशल इंजीनियरों की बहुत जरूरत है। अफगानिस्तान उनके लिए एक सुरक्षित जगह है।”
मुत्ताकी ने बताया कि भारत के विदेश मंत्री से मुलाकात के दौरान उन्हें यह भरोसा मिला कि अफगानिस्तान अपने राजनयिकों को नई दिल्ली भेज सकता है, और भारत भी काबुल में अपने राजनयिक दोबारा भेजने पर विचार कर रहा है। उन्होंने कहा, “पिछले चार सालों में हमारे रिश्ते बेहतर हुए हैं, और मेरी यह भारत यात्रा इस दिशा में एक नई शुरुआत है।”
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पाकिस्तान के आतंकवाद वाले सवाल पर मुत्ताकी ने साफ कहा, “अफगानिस्तान की जमीन किसी भी देश के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होगी। हमारे देश पर अब सिर्फ अफगानों का शासन है, और हम किसी बाहरी दखल की अनुमति नहीं देंगे।”
मुत्ताकी ने देवबंद को लेकर भी दिलचस्प बात कही। उन्होंने कहा, “देवबंद इस्लामी दुनिया का बड़ा केंद्र है, और अफगानिस्तान से इसका पुराना रिश्ता है। मैं वहां के उलेमाओं से मिलने जा रहा हूं ताकि हमारे छात्र भी यहां आकर पढ़ाई कर सकें।”
उन्होंने दावा किया कि अब अफगानिस्तान पूरी तरह सुरक्षित है। उन्होंने कहा, “हमारे देश की एक इंच जमीन पर भी किसी का कब्जा नहीं है। पिछले चार सालों में सब विदेशी ताकतों को हटा दिया गया है। पिछले आठ महीनों में हिंसा की कोई बड़ी घटना नहीं हुई। अगर हर देश शांति चाहता है, तो अफगानिस्तान जैसा रास्ता अपनाना चाहिए।”
चाबहार बंदरगाह के मुद्दे पर मुत्ताकी बोले, “भारत और अफगानिस्तान को व्यापार के रास्ते खुला रखना चाहिए। अमेरिका के प्रतिबंधों के बावजूद हमें मिलकर समाधान निकालना होगा ताकि दोनों देशों के बीच व्यापार न रुके।”
अंत में उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान इस्लामी सिद्धांतों के आधार पर सभी देशों के साथ सकारात्मक संबंध चाहता है। उन्होंने कहा, “भारत के पास इस दिशा में आगे बढ़ने का अच्छा मौका है। हम किसी सैन्य उपस्थिति को स्वीकार नहीं करेंगे, लेकिन कूटनीतिक और आर्थिक संबंधों का स्वागत करेंगे।