गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा मार्च में जारी एक कार्यालय ज्ञापन (OM) ने अफगानिस्तान के निवासियों के वीजा विस्तार को समाप्त कर दिया और अब अफ़ग़ान नागरिकों को अफ़ग़ानिस्तान वापस जाकर वीज़ा के लिए नए सिरे से आवेदन करना होगा। इसके चलते ऐसे कई अफगान व्यापारी हैं जो अधर में लटके हैं क्योंकि उनके वीजा विस्तार के अनुरोध को केंद्र ने अस्वीकार कर दिया है।
MHA द्वारा 19 मार्च को जारी ज्ञापन में कहा गया है कि अफ़ग़ान और भारतीय चैंबर्स ऑफ कॉमर्स की सिफारिशों पर स्थापित और जाने-माने व्यापारियों के लिए व्यावसायिक वीज़ा पर विचार किया जाएगा और छोटे व्यापारियों/व्यवसाइयों को इसके दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए। ऐसा ही एक मामला 2014 से दिल्ली में रह रहे अफ़ग़ान मेवे व्यापारी अली अहमद नज़री का है जिनके वीज़ा विस्तार के अनुरोध को केंद्र सरकार ने अस्वीकार कर दिया है। उनका वीजा 28 अक्टूबर 2025 को समाप्त हो गया था।
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि क्या वीजा विस्तार की कोई गुंजाइश है
बुधवार को, दिल्ली हाई कोर्ट ने नाज़री की याचिका पर सुनवाई करते हुए, केंद्र सरकार से अपने विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (FRRO) और गृह मंत्रालय (MHA) के माध्यम से मामले के विचित्र तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, यह देखने का आग्रह किया कि क्या वीज़ा विस्तार की कोई गुंजाइश है। केंद्र के वकील ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता के समक्ष मौखिक रूप से कहा कि नीतिगत रूप से, हम किसी भी अफगान नागरिक के वीजा का विस्तार नहीं कर रहे हैं और अगर उन्हें वीज़ा की जरूरत है तो वे वापस जाकर आवेदन कर सकते हैं।
इस पर न्यायमूर्ति दत्ता ने टिप्पणी की, “आप चाहते हैं कि वह वापस जाकर आवेदन करें? इस कार्यालय ज्ञापन के अनुसार, उन्हें लंबे समय तक वीज़ा नहीं मिल पाएगा।” केंद्र के वकील ने इस पर जवाब दिया, “यह एक संभावना है… क्योंकि हम जोखिम नहीं उठा सकते, तालिबान अब देश चला रहा है। तालिबान ने कब्ज़ा कर लिया है।”
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अफगान नागरिक के वीजा का विस्तार
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि कार्यालय ज्ञापन मार्च का है, उच्च न्यायालय ने मौखिक रूप से टिप्पणी की मार्च 2025 के बाद से बहुत समय बीत चुका है। अदालत की यह मौखिक टिप्पणी तालिबान शासित अफ़गानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की अक्टूबर की शुरुआत में भारत यात्रा और विदेश मंत्री एस जयशंकर से उनकी मुलाकात की पृष्ठभूमि में आई है। यह यात्रा भारत की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई क्योंकि भारत ने तालिबान शासित अफ़गानिस्तान को अभी तक आधिकारिक मान्यता नहीं दी है, फिर भी उसने तालिबान के साथ बातचीत करने का फैसला किया।
अदालत ने सरकारी वकील से निर्देश लेने का अनुरोध किया, खासकर इस बारे में कि क्या व्यावसायिक वीज़ा की अवधि बढ़ाने की कोई संभावना है। अदालत ने मामले को आगे विचार के लिए 6 नवंबर के लिए रख लिया है। हालाँकि, अदालत ने अधिकारियों द्वारा की जाने वाली किसी भी प्रकार की ज़बरदस्ती कार्रवाई के खिलाफ कोई अंतरिम सुरक्षा देने से इनकार कर दिया।
क्या है व्यापारी अली अहमद नजरी का मामला?
व्यापारी अली अहमद नजरी का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता भरत मल्होत्रा और तक्ष सूरी कर रहे थे। उन्होंने अदालत को बताया कि हालांकि ओएम मार्च से ही लागू था लेकिन 6 मई को उनके व्यावसायिक वीज़ा की अवधि बढ़ा दी गई थी। यह अवधि 29 अप्रैल से 28 अक्टूबर तक वैध थी। नज़री ने बताया कि वह सूखे मेवों का व्यापार और उसका निर्यात करते हैं।
वह भारतीय व्यापारियों से ऑर्डर प्राप्त करते हैं, अफ़ग़ान आपूर्तिकर्ताओं को संबंधित क्रय आदेश जारी करते हैं और डिलीवरी का प्रबंध करते हैं। उन्होंने आगे बताया कि वह 2014 से वैध वीज़ा पर भारत में रह रहे हैं। अनुबंध संबंधी और वित्तीय दायित्वों के साथ, जिनमें विभिन्न भारतीय व्यापारियों से वसूले जाने वाले लगभग 1.5 करोड़ रुपये भी शामिल हैं, नज़री ने अपनी याचिका में कहा कि बकाया राशि की वसूली के लिए भारत में उनकी निरंतर उपस्थिति आवश्यक है।
क्या है अफगान नागरिकों के वीजा को लेकर सरकार का आदेश?
अली अहमद नजरी के पास एफआरआरओ द्वारा 2024 में जारी किया गया एक बिजनेस वीज़ा (B-2 मल्टीपल एंट्री वीज़ा) था जिसकी अवधि 29 अक्टूबर, 2024 से 28 अप्रैल, 2025 तक थी। ओएम जारी होने के लगभग एक महीने बाद, 21 अप्रैल को नज़री ने वीज़ा की अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया था। अधिकारियों ने इसे भी 29 अप्रैल से 28 अक्टूबर तक की अवधि के लिए स्वीकृत कर दिया। हालाँकि, जब उन्होंने 18 अक्टूबर को दूसरी बार विस्तार के लिए आवेदन किया तो चार दिन बाद एफआरआरओ ने उन्हें एक ईमेल संदेश में सूचित किया कि उनका आवेदन बिना कोई कारण बताए रद्द कर दिया गया है। उन्होंने पिछले हफ़्ते, 25 अक्टूबर को फिर से विस्तार के लिए आवेदन किया।

