ISRO ने शनिवार को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से देश का पहला सूर्य मिशन आदित्य L1 लॉन्च किया। आज आदित्य-L1 मिशन पर इसरो ने बड़ा अपडेट दिया है। जिसके मुताबिक, अपनी लॉन्चिंग के एक दिन बाद रविवार को आदित्य-L1 ने अपनी कक्षा बदल ली है और अब वह दूसरी कक्षा में स्थापित हो गया है। प्रक्रिया के अनुसार इसे 16 दिनों तक पृथ्वी की परिक्रमा करनी है, इसके बाद ही वह सूर्य की ओर अपने मार्ग पर बढ़ जाएगा।

आदित्य L-1 16 दिनों में पांच बार पृथ्वी की कक्षा बदलेगा। इसरो के अपडेट के मुताबिक, अब 5 सितंबर को दोबारा कक्षा में बदलाव होगा। इसरो ने रविवार को कहा कि देश के पहले सूर्य मिशन ‘आदित्य एल1’ की पृथ्वी की कक्षा से संबंधित पहली प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी कर ली गई है। इसरो के मुताबिक, इस प्रक्रिया को यहां स्थित इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (ISTRC) से अंजाम दिया गया। ISRO ने यह भी कहा कि ‘आदित्य एल1’ उपग्रह एकदम ठीक है और यह समान्य ढंग से काम कर रहा है।

5 सितंबर को बदली जाएगी अगली कक्षा

इसरो ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट ‘X’ पर जारी एक पोस्ट में बताया कि कक्षा संबंधी अगली प्रक्रिया 5 सितंबर, 2023 को भारतीय समयानुसार देर रात लगभग तीन बजे के लिए निर्धारित है। इसरो ने लिखा, ‘‘आदित्य-एल1 मिशन उपग्रह एकदम ठीक है और सामान्य ढंग से काम कर रहा है। पृथ्वी की कक्षा से संबंधित पहली प्रक्रिया (ईबीएन1) आईएसटीआरएसी, बेंगलुरु से सफलतापूर्वक निष्पादित की गई। अब नयी कक्षा 245 किलोमीटर x 22,459 किलोमीटर है।’’

पृथ्वी से 15 लाख किमी की दूरी पर रहकर सूर्य का अध्ययन करेगा आदित्य-L1

‘आदित्य एल1’ को शनिवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था। मिशन का लक्ष्य सूर्य-पृथ्वी L1 बिंदु पर भारत की पहली सौर वेधशाला स्थापित कर सूरज के बाहरी वातावरण का अध्ययन करना है। L1 का मतलब ‘लैग्रेंज प्वाइंट 1’ है, जहां अंतरिक्ष यान को स्थापित किया जाएगा। सौर पैनल के सक्रिय होने के बाद उपग्रह ने विद्युत ईंधन पैदा करना शुरू कर दिया।

इसरो के अनुसार, आदित्य-L1 पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर रहकर सूर्य का अध्ययन करेगा। यह दूरी पृथ्वी और सूर्य की कुल दूरी का लगभग एक प्रतिशत है। अंतरिक्ष एजेंसी ने स्पष्ट किया है कि यान न तो सूर्य पर उतरेगा और न ही सूर्य के और करीब जाएगा।