Aditya L1 Mission: भारत अपना पहला सूर्य मिशन 2 सितंबर को सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से लॉन्च करेगा। चंद्रयान की सफलता के बाद इसरो आदित्य एल-1 मिशन को लॉन्च करने की तैयार भी पूरी कर चुका है। बता दें कि सूरज की सतह से थोड़ा ऊपर यानि फोटोस्फेयर का तापमान करीब 5500 डिग्री सेल्सियस होता है। वहीं सूर्य के केंद्र का अधिकतम तापमान 1.50 करोड़ डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है। ऐसे में किसी भी स्पेसक्राफ्ट का सूर्य पर जाना नामुमकिन है। अभी तक धरती पर बनाई गई कोई भी वस्तु सूरज के करीब तक नहीं पहुंच पाई है।
अंतरिक्ष में कहां है एल-1 प्वाइंट?
पृथ्वी और सूरज की ग्रेविटी जहां पर आपस में टकराती है उसी जगह को लैरेंज प्वाइंट कहा गया है। पृथ्वी और सूरज के बीच में कुल 5 लैरेंज प्वाइंट को चिन्हित किया गया है। आदित्य एल-1 को धरती और सूर्य के बीच में लैरेंज प्वाइंट 1 (L1) में रखा जाएगा। पृथ्वी से एल-1 की दूरी 15 लाख किलोमीटर है। वहीं सूरज से एल-1 की दूरी करीब 14 करोड़ 85 लाख किमी है। बता दें कि सूरज और पृथ्वी की बीच की इस जगह पर ग्रेविटी में फंसकर स्पेसक्राफ्ट काम करता है।
लैरेंज प्वाइंट पर कम ईंधन का इस्तेमाल कर ज्यादा दिन काम किया जा सकता है। जहां तक एल-1 की बात की जाए तो यह सूरज और धरती की सीधी रेखा के बीच स्थित है। लैरेंज प्वाइंट-1 सूरज और धरती की कुल दूरी का मात्र एक फीसदी ही है।
2 सितंबर को आदित्य एल-1 मिशन को PSLV-XL रॉकेट की मदद से लॉन्च किया जाएगा। रॉकेट आदित्य एल-1 को पृथ्वी के लोअर अर्थ ऑर्बिट में छोड़ेगा। इसके बाद आदित्य एल-1 तीन से चार ऑर्बिट मैन्यूवर करके सीधा एल-1 में स्थापित किया जाएगा। इस प्रक्रिया में कुल 127 दिन का वक्त लगेगा।
आदित्य मिशन का मुख्य उद्देश्य क्या है?
– सूरज से निकलने वाली किरणों की आदित्य एल-1 में लगे 7 पेलोड्स जांच करेंगे।
– आदित्य एल-1 सूरज के कोरोना से निकलने वाली गर्मी और गर्म हवाओं की स्टडी करेगा।
– आदित्य एल-1 सौर वायुमंडल को समझने का प्रयास करेगा।
– आदित्य एल-1 सौर हवाओं के विभाजन और तापमान का अध्ययन करेगा।
– सौर तूफानों के आने की वजह, सौर लहरों और उनका धरती के वायुमंडल पर क्या असर होता है इसका भी पता लगाएगा।
सूर्ययान कितने समय तक करेगा काम?
इसरो ने बताया है कि आदित्य-एल1 मिशन तकरीबन 5 साल तक सूरज से निकलने वाली किरणों का अध्ययन करेगा। आदित्य-एल1 में 7 पेलोड्स लगे हुए है जो सूरज से निकलने वाली किरणों का गहन अध्यन करेंगे। आदित्य-एल1 मिशन को बनाने में कुल 378 करोड़ रुपये की लागत आई है।