भारत की प्रमुख बिजली उत्पादक कंपनी अडानी पॉवर झारखंड लिमिटेड ने भुगतान न मिलने के चलते बांग्लादेश को बिजली आपूर्ति आधी कर दी है। बांग्लादेश सरकार पर इस समय 846 मिलियन अमेरिकी डॉलर का बकाया है, जिसे अभी तक अदा नहीं किया गया है। भुगतान में इस देरी के कारण बांग्लादेश में गंभीर बिजली संकट उत्पन्न हो गया है। अडानी पॉवर की यह आपूर्ति कमी बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था और जनता के लिए एक बड़ी समस्या बनती जा रही है, क्योंकि इससे बिजली की कमी और बढ़ते संकट का सामना करना पड़ रहा है। अब बांग्लादेश की सरकार बिजली आपूर्ति जारी रखने का अनुरोध कर रही है।
अडानी समूह ने अंतरिम सरकार के चीफ को पत्र लिखा
बांग्लादेश में हाल ही में एक अंतरिम सरकार ने शासन संभाला है, जिसमें नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस मुख्य सलाहकार की भूमिका में हैं। अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी ने व्यक्तिगत रूप से यूनुस को पत्र लिखकर भुगतान की मांग की है। उन्होंने बकाया राशि को लेकर तत्काल कदम उठाने का अनुरोध किया है, जिससे बांग्लादेश में बिजली आपूर्ति की स्थिरता बनी रहे।
बांग्लादेश पॉवर डेवलपमेंट बोर्ड को पहले ही दी थी चेतावनी
इससे पहले अडानी पॉवर ने बांग्लादेश पॉवर डेवलपमेंट बोर्ड (पीडीबी) को भी चेतावनी दी थी कि यदि 30 अक्टूबर तक बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया, तो कंपनी पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) के तहत 31 अक्टूबर से बिजली आपूर्ति पूरी तरह बंद कर सकती है। अडानी समूह का यह कदम पीडीबी पर दबाव डालने के लिए उठाया गया है, ताकि बकाया राशि का भुगतान जल्द से जल्द किया जा सके।
पीडीबी के अनुसार बांग्लादेश कृषि बैंक से 170.03 मिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि के लिए लेटर ऑफ क्रेडिट (एलसी) जारी नहीं किया गया है और न ही पूरी बकाया राशि का भुगतान हुआ है। इस वजह से पीडीबी के लिए हर सप्ताह करीब 18 मिलियन अमेरिकी डॉलर का भुगतान करना संभव नहीं हो पा रहा है, जबकि अडानी की कंपनी का शुल्क 22 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है। इससे बकाया भुगतान का बोझ और बढ़ता जा रहा है। पीडीबी के एक अधिकारी ने बताया कि डॉलर की कमी के कारण बांग्लादेश कृषि बैंक भी ऋण पत्र खोलने में विफल रहा है, जो बकाया भुगतान में विलंब का एक प्रमुख कारण है।
इसके अतिरिक्त पिछले वर्ष फरवरी में जब पीडीबी ने कोयले की कीमतों पर सवाल उठाया था, तो अडानी समूह ने एक पूरक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके अनुसार अडानी को कोयले की कीमत अन्य कोयला आधारित बिजली संयंत्रों की दरों से कम पर देने के लिए बाध्य किया गया था। हालांकि एक वर्ष की अवधि समाप्त होने के बाद अडानी समूह ने फिर से पीपीए के तहत मूल दरों के अनुसार शुल्क वसूलना शुरू कर दिया है। पीपीए की शर्तों के अनुसार कोयले की कीमत इंडोनेशियाई कोयला सूचकांक और ऑस्ट्रेलियाई न्यूकैसल सूचकांक के औसत मूल्य के आधार पर तय की जाती है, जिससे शुल्क बढ़ने लगा है।
बांग्लादेश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए अडानी पावर का यह कदम एक गंभीर चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। ऐसे में बांग्लादेश सरकार पर अंतरराष्ट्रीय आर्थिक दबाव भी बढ़ सकता है, क्योंकि बिजली संकट से देश की उद्योगों और आम जनता की जिंदगी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।