Adani Group: अडाणी ग्रुप को लेकर विपक्ष केंद्र सरकार पर लगातार हमला बोल रही है। संसद में मंगलवार (7 फरवरी 2023) को कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने अडाणी ग्रुप (Adani Group) को लेकर सरकार पर कई आरोप लगाए। अडाणी ग्रुप के एविएशन इंडस्ट्री में एंट्री पर संसद में राहुल गांधी का हमला इस बात पर केंद्रित था कि ग्रुप के उड्डयन क्षेत्र में प्रवेश की सुविधा के लिए नियमों में बदलाव किया और जांच एजेंसियों द्वारा मुंबई एयर पोर्ट के संचालक को इससे बाहर करने के लिए जबरदस्ती करने का आरोप लगाया। जिसके बाद एयर पोर्ट अडाणी को सौंप दिया गया।
फाइनेंस और नीति आयोग ने Adani Group की बोली से पहले जताई थी आपत्ति
एविएशन इंडस्ट्री में अडाणी ग्रुप का प्रवेश तब हुआ जब केंद्रीय वित्त मंत्रालय और नीति आयोग ने 2019 की हवाई अड्डे की बोली प्रक्रिया के संबंध में रिकॉर्ड आपत्तियां दर्ज कीं। हालांकि, बाद में उन्हें खारिज कर दिया गया जिससे अडाणी समूह द्वारा प्रस्तावित छह हवाई अड्डों की बोली उन्हें मिल गयी। मुंद्रा में एक निजी एयर स्ट्रिप चलाने से लेकर, हैंडल किए जाने वाले एयर पोर्ट्स की संख्या के मामले में देश के सबसे बड़े निजी डेवलपर और पैसेंजर ट्रैफिक के मामले में दूसरा सबसे बड़ा ग्रुप बन चुके अडाणी समूह का यह विकास 24 महीनों से भी कम समय में हुआ।
अहमदाबाद, लखनऊ, मैंगलोर, जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम में हवाई अड्डों के निजीकरण के लिए बोलियां आमंत्रित करने से पहले, केंद्र की सार्वजनिक निजी भागीदारी मूल्यांकन समिति (PPPAC) ने 11 दिसंबर 2018 को प्रक्रिया के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय के प्रस्ताव पर चर्चा की थी।
एक बोलीदाता को न दिए जाए दो से ज्यादा Air Port
इन चर्चाओं के दौरान, आर्थिक मामलों के विभाग के एक नोट में कहा गया, “ये छह हवाईअड्डा परियोजनाएं अत्यधिक कैपिटल-इंटेन्सिव परियोजनाएं हैं, ऐसे में यह क्लॉज शामिल किया जाए कि एक बोलीदाता (Bidder) को दो से ज्यादा एयर पोर्ट नहीं दिए जाएंगे। उच्च वित्तीय जोखिम और प्रदर्शन के मुद्दों को ध्यान में रखते हुए यह जरूरी है। उन्हें अलग-अलग कंपनियों को देने से प्रतियोगिता में भी सुविधा होगी।” पीपीपीएसी को डीईए का यह नोट 10 दिसंबर, 2018 को विभाग के पीपीपी सेल में एक निदेशक द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
उसी दिन डीईए नोट के रूप में नीति आयोग ने हवाई अड्डे की बोली के संबंध में एक अलग चिंता जताई थी। सरकार के प्रमुख नीति थिंक-टैंक के पीपीपी वर्टिकल द्वारा तैयार एक मेमो में कहा गया, “पर्याप्त तकनीकी क्षमता की कमी वाले बोलीदाता परियोजना को खतरे में डाल सकते हैं और सेवाओं की गुणवत्ता से समझौता कर सकते हैं।”