दिल्ली हाई कोर्ट ने 25 साल की एक महिला पर तेजाब फेंकने के दो दोषियों की जेल की सजा दोगुनी करके 10 साल कर दी है। इस तेजाबी हमले में पीड़ित महिला की आंखों की रोशनी चली गई थी और उसका चेहरा विकृत हो गया था। अदालत ने कहा कि ‘एक सुंदर महिला पर क्रूर अमानवीय हमला’ और उसके घाव को देखने मात्र से ‘मानसिक आघात पहुंचता’ है।

न्यायमूर्ति सुनीता गुप्ता ने कहा-‘पीड़िता (जो सुनवायी के दौरान अदालत में मौजूद थी) को देखने मात्र से मानसिक आघात पहुंचता है। अगर अदालत को पीड़िता पर हुए अमानवीय हमले से हुए घाव को देखकर मानसिक आघात पहुंच रहा है तो पीड़िता की क्या स्थिति होगी, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।’ उन्होंने कहा कि अदालत उसे पहुंचे मानसिक आघात से ‘अनजान’ नहीं रह सकती।

यह फैसला तेजाब हमले की शिकार महिला की अपील पर आया जो दक्षिणी दिल्ली के एक होटल में डांसर थी। महिला पर 2004 में एक अन्य महिला (वह भी डांसर थी) और उसके भाई ने ईर्ष्या के चलते तेजाब फेंक दिया था। पीड़ित महिला ने निचली अदालत की ओर से दोनों को सुनाई गई पांच साल की सजा को बढ़ाने की मांग की थी।

हाई कोर्ट ने दोनों दोषियों की उनकी दोषसिद्धि और 2011 में निचली अदालत की ओर से सुनाई गई पांच साल की सजा के खिलाफ अपील भी खारिज कर दी। न्यायाधीश ने कहा कि तथ्यों व परिस्थितियों की समग्रता को ध्यान में रखते हुए मेरे विचार से अपीलकर्ताओं (दोषियों) को सुनाई गई पांच साल की सजा बहुत कम है। इसलिए इसे बढ़ा कर 10 साल किया जाता है। उन्होंने साथ ही दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वह पीड़िता मुआवजा योजना के तहत महिला को उचित मुआवजा दे।