इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की है कि कोविड-19 के उपचार के लिए सरकार के प्रोटोकॉल को चुनौती देने तथा टीकाकरण पर कथित दुष्प्रचार वाला अभियान चलाने के लिए योगगुरु रामदेव पर तत्काल राजद्रोह के आरोपों के तहत मामला दर्ज होना चाहिए। दरअसल, बाबा रामदेव और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के बीच विवाद जारी है। उत्तराखंड में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की तरफ से उन्हें एक हजार करोड़ रुपये के मानहानि का नोटिस भेजा गया है। इस बीच रामदेव के सहयोगी आचार्य बालकृष्ण ने विवाद में नया एंगल दे दिया है। उन्होंने कहा है कि कुछ लोग योग और आयुर्वेद को बदनाम करना चाहते हैं। पूरे देश को ईसाई बनाने की कोशिश की जा रही है।

आचार्य बालकृष्ण ने लिखा कि पूरे देश को क्रिश्चियानिटी में कन्वर्ट करने के षड्यंत्र के तहत, रामदेव जी को टारगेट करके योग एवं आयुर्वेद को बदनाम किया जा रहा है। देशवासियों, अब तो गहरी नींद से जागो नहीं तो आने वाली पीढ़ियां तुम्हें माफ नहीं करेंगी। आचार्य बालकृष्ण ने आईएमए के अध्यक्ष डॉ. जयालाल के एक कथित बयान को सोशल मीडिया में पोस्ट किया। इसमें बताया गया है कि जयालाल अस्पतालों और स्कूलों में क्रिश्चियानिटी को बढ़ावा देने की बात करते हैं।

बताते चलें कि बाबा रामदेव का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वो कहते हुए पाए गए थे कि एलोपैथी ऐसी बेकार सांइस है कि पहले इनकी हाईड्रोऑक्सीक्लोरोक्विन फेल हो गयी। फिर रेमडेसिविर फेल हो गयी। फिर एंटीबायोटिक्स इनके फेल हो गए। स्टेरॉयड फेल हो गए। प्लाज्मा थेरेपी फेल के ऊपर भी बैन लग गया। बुखार कते लिए फैबिफ्लू दे रहे हैं वो भी फेल हो गया।

जिसके बाद उनकी काफी आलोचना हुई थी।  केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रामदेव से अपना विवादित बयान वापस लेने के लिए कहा था। आईएमए की तरफ से रामदेव पर महामारी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करने की मांग भी की गयी थी।

रामदेव ने अपना बयान तो वापस ले लिया था लेकिन उसके बाद फिर उन्होने कई सवाल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूछ डाले। जिसके बाद  इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने डॉक्टरों और एलोपैथी पर दिये गए बयान के लिए बाबा रामदेव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। बताते चलें कि आचार्य बालकृष्ण बाबा रामदेव के सबसे करीबी सहयोगी हैं। साथ ही वो पतंजलि योगपीठ के अध्यक्ष भी हैं। वर्षों से दोनों मिलकर काम करते रहे हैं।