एक आधिकारिक जांच में खुलासा हुआ है कि रिलायंस इंडस्ट्री लिमिटेड ने कोल बेड मिथेन (सीबीएम) पर अनुबंध की शर्ताें और सरकारी नीतियों का उल्लंघन कर पूरे उत्पादन को खुद की कंपनी को बेच दिया। इस खुलासे के बाद कई सौ मिलियन डॉलर वाले इस गैस-बिक्री डील को समाप्त किया जा सकता है। कांट्रैक्ट में गैस उत्पादक और गैस खरीदने वाले के बीच किसी तरह का संबंध नहीं होने की शर्त का उल्लेख किया गया था। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस ने पिछले साल से अपने मध्य प्रदेश के खान में सीबीएम का कॉमर्शियल उत्पादन शुरू किया था। जल्दी-जल्दी में तीन बार इसकी नीलामी की गई थी। पहली दो नीलामी थोड़े समय के लिए थी और सितंबर 2017 में हुई तीसरी नीलामी मार्च 2021 तक उत्पादित होने वाले पूरे गैस के लिए थी।

गैस खनन मामले की उच्च नियामक ईकाई हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच) ने पिछले साल इन नीलामियों में त्रुटी पाई थी और इंगित किया था कि रिलायंस ने अन्य नीलामी लगाने वालों के साथ प्रक्रिया में भाग लेने के दौरान सीबीएम की नीतियों का पालन नहीं किया था। इसमें बिक्री के दौरान हितों के टकराव की शर्तों के बारे में प्रावधान किया गया था। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा गया है, इसके बाद तेल मंत्रालय द्वारा व्यापक जांच शुरू की गई, जहां अधिकारियों ने महीनों तक नीतियों और प्रावधानों पर बहस की। कानून मंत्रालय की राय और रिलायंस के विचार मांगे।

यह साबित करने में एक साल लग गया है कि रिलायंस द्वारा सीबीएम की बिक्री खुद को करना, नीतियों का उल्लंघन है। साथ ही प्रोडक्शन शेयरिंग कांट्रैक्ट टर्म का भी उल्लंघन है। हालांकि, तेल मंत्रालय और रिलायंस इंडस्ट्री द्वारा इससे संबंधित सवाल पूछने पर किसी तरह का जवाब नहीं दिया गया। रिलायंस ने पहले कहा था कि उनकी कंपनी ने सीआरआईएसआईएल (स्वतंत्र एजेंसी) द्वारा आयोजित खुले और पारदर्शी नीलामी जीती है।

यह कहा गया था कि नीलामी की वजह से सरकार को सबसे ज्यादा फायदा होगा और सीबीएम पॉलिसी का मुख्य उद्देशय पूरा होगा। कांट्रैक्ट और सीबीएम पॉलिसी में यह साफ जिक्र था कि इसकी बिक्री और खरीद करने वाले, दोनों के बीच किसी तरह का सीधा संबंध नहीं होगा। लेकिन अपनी कंपनी हेतु उत्पादन लिए रिलायंस द्वारा नीलामी में हिस्सा लेने की वजह से शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगा। सीबीएम पाॅलिसी संबंधित कंपनी को बिक्री की अनुमति देता है, लेकिन तब जब उत्पादक को प्रक्रिया पूरी करने के बाद कोई खरीददार नहीं मिलता है।

जांच कर रहे अधिकारियों ने पाया कि रिलायंस ने किसी खरीददार के मिलने का इंतजार नहीं किया और दूसरे प्रतिभागियों की तरह नीलीमी में प्रक्रिया में भाग लिया। नीतियों का उल्लंघन किया। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह भी बताया गया है, जांच नतीजों के बाद रिलायंस का कांट्रैक्ट रद्द हो सकता है और फिर से नीलामी हो सकती है। हालांकि, पहले से उत्पादित, बेचा गया और उपयोग किया गया गैस सरकार के फैसले से प्रभावित नहीं होगा।