दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी (आप) को बड़ा झटका लटका है। पार्टी नेता गुग्गन सिंह सोमवार (30 दिसंबर, 2019) को भाजपा में शामिल हो गए। गुग्गन लोकसभा चुनाव में उत्तर पश्चिमी दिल्ली से आप के उम्मीदवार थे, हालांकि उन्हें भाजपा के हंस राज हंस ने 5.9 लाख मत से हराया था। बताया जाता है कि भाजपा में शामिल हुए गुग्गन अब आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में होंगे। दिल्ली में भगवा पार्टी का दलित चेहरा माने जाने वाले सिंह बवाना उप चुनाव में पार्टी की तरफ से टिकट ना मिलने पर जुलाई 2017 में आप में आ गए थे।

दलित नेता केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और दिल्ली प्रमुख मनोज तिवारी की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुए। जावड़ेकर दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रभारी हैं। भाजपा में वापसी के बाद गुग्गन सिंह ने कहा, ‘आम आदमी पार्टी में शामिल होने के बाद मुझे पता चला कि पार्टी मुख्य और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने विधायकों का सम्मान नहीं करते। सीएम अपने विधायकों को टुच्चे विधायक कहते हैं। इसमें मैंने भाजपा में वापसी का फैसला लिया। आप में मुझे घुटन महसूस हो रही थी। वहां रहते मैं अपने परिवार के सदस्यों का सामना करने में भी समक्ष नहीं था। इसलिए मैं अन्यों से भी अपील करता हूं कि जो गलती मैंने की उन्हें नहीं दोहरानी चाहिए।’

बता दें कि सिंह 2013 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर बवाना से विधायक निर्वाचित हुए थे। पार्टी सूत्रों के मुताबिक पश्चिमी दिल्ली से सांसद प्रवेश वर्मा और राज्यसभा सांसद विजय गोयल ने दलित नेता को पार्टी में वापस लाने में बड़ी भूमिका निभाई। हालांकि सिंह का कहना है कि वह भाजपा में बिना शर्त शामिल हुए हैं। मगर सूत्रों का कहना है कि आगामी विधानसभा चुनाव में वो बवाना से भाजपा उम्मीदवार होंगे।

उल्लेखनीय है कि साल 2013 में भाजपा के टिकट चुनाव जीतने वाले सिंह 2015 के विधानसभा चुनाव में आप के वेद प्रकाश से हार गए। वेद प्रकाश पूर्व भाजपा नेता है जो विधानसभा चुनाव से पहले आप में शामिल हो गए थे, हालांकि साल 2017 में एक बार फिर भाजपा में लौट आए।

मामले में एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘अगर हम गुग्गन को टिकट देते तो भाजपा 2017 में बवाना उपचुनाव जीत जाती। मैं हमेशा यही कहता रहा हूं कि सिंह को पार्टी से नहीं जाने देना चाहिए था। हमारे पास जो कैडर वोटर है वो तय है। मगर सिंह जैसे लोग जब पार्टी में शामिल होते हैं तो एक अस्थाई मतदाताओं का आधार भी मिलता है, और ऐसे मतदाता कई बार विजेताओं और हारने वालों का फैसला करते हैं।’