दिल्ली और पंजाब में जीतने के बाद आम आदमी पार्टी अब लोकसभा चुनाव भी मैदान में उतरने की तैयारी में है। पार्टी सभी 543 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। जिन राज्यों में फिलहाल आप की मौजूदगी नहीं है और उसका कैडर भी नहीं है, वहां भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। पार्टी के एक सीनियर नेता ने कहा कि अगर पार्टी मैदान में नहीं उतरेगी तो लोग उसके बारे में कैसे जानेंगे।

उन्होंने कहा, “हम सभी सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। उन सीटों पर भी हम लड़ेंगे, जो हमारा कैडर नहीं है यहां हमारे जीतने की कोई उम्मीद नहीं है वहां भी हम लड़ेंगे ताकि लोग आम आदमी पार्टी को जानें। हालांकि, चुनाव कैसे लड़ना है, क्या करना है इसकी कोई रणनीति फिलहाल पार्टी के पास नहीं है। लेकिन हां पार्टी सभी लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी।”

आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव में उतरेगी, लेकिन वह किसी के साथ हाथ मिलाएगी या फिर अकेले ही चुनावी मैदान में उतरेगी इसको लेकर कोई जानकारी फिलहाल नहीं है। उन्होंने कहा, “हम जानते हैं कि अभी भी कई राज्यों में आप नई पार्टी है, लेकिन आईएएस अधिकारी बनने से पहले आपको प्रीलिम्स, मेंस और फिर इंटरव्यू देना पड़ता है। पार्टी पंजाब में सभी सीटों पर जीतने के लिए आश्वस्त है क्योंकि अगर हम जालंधर जीत सकते हैं, तो हम 13 सभी सीटें जीत सकते हैं। गुजरात और राजस्थान में भी आप को विश्वास है कि वह 2-3 सीटें जीतेगी।”

पार्टी का यह भी मानना है कि वह मध्य प्रदेश में भी अच्छा कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य के ग्वालियर और रीवा में पार्टी अच्छा काम कर रही है इसलिए उसे यहां ज्यादा सीटें मिलने की उम्मीद है। हालांकि, पार्टी इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं है कि वह अपने घरेलू मैदान दिल्ली में कितनी सीटें जीत पाएगी। उन्होंने कहा, “यहां की कहानी अलग है। यहां लोग विधानसभा चुनाव में आप को वोट करते हैं और लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा को चुनते हैं लेकिन इस बार पार्टी जरूर सात सीटें जीतेगी।”

आम आदमी पार्टी ने हाल ही में पंजाब की जालंधर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव पर जीत हासिल की है। कांग्रेस सांसद के निधन के बाद यह सीट खाली हुई थी, जिस पर इसी महीने उपचुनाव हुआ और आप के सुशील कुमार रिंकू जीत गए। वहीं, दिल्ली में अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर को लेकर केंद्र और आप आमने-सामने हैं। केंद्र सरकार प्रशासनिक सेवाओं पर अपना नियंत्रण रखने के लिए एक अध्यादेश लेकर आई है। अरविंद केजरीवाल इसे विफल करने के लिए विपक्षी दलों से समर्थन की मांग कर रहे हैं। इसके तहत उन्होंने कई राज्यों के सीएम और विपक्षी दलों के प्रमुखों से बैठकें भी की हैं।