आप राज्यसभा सांसद संजय सिंह और भाजपा के राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी के बीच एक टीवी कार्यक्रम में तीखी बहस देखने को मिली। बता दें कि दोनों जी न्यूज के खास कार्यक्रम Zee Sammelan 2022 में शामिल हुए थे। इस दौरान जहां संजय सिंह ने मोदी सरकार को बेरोजगारी के मुद्दे पर घेरा तो वहीं सुधांशु त्रिवेदी ने उन्हें तमाम उपलब्धियों के गिनवाते हुए दावा किया कि मोदी सरकार में रोजगार सृजन हुआ है।

गौरतलब है कि जी न्यूज के कार्यक्रम की थीम ‘मोदी सरकार के 8 साल-कमाल या बवाल?’ थी। जिसमें आप नेता संजय सिंह ने कहा, “आजादी के बाद 45 सालों में सबसे अधिक बेरोजगारी मोदी सरकार में बढ़ी है। सरकार ने देश के अंदर नौजवानों को सबसे अधिक रोजगार देने का वादा किया। दो करोड़ रोजगार हर साल देने का वादा किया था, उस हिसाब से अबतक 16 करोड़ नौकरियां मिल जानी चाहिए थी। नौकरियां तो नहीं मिली लेकिन बेरोजगारी की दर लगातार बढ़ती गई।”

आप नेता का मोदी सरकार पर तंज: संजय सिंह ने कहा, “प्रधानमंत्री जी ने लोगों को अलग-अलग समय पर अलग-अलग सलाह दी। पहले उन्होंने कहा कि दो करोड़ नौकरियां देंगे, फिर कहा पकौड़ा तल लो, फिर कहा पान बेच लो, फिर उन्होंने कहा कि देश के अंदर गोबर योजना आई है, गोबर बेचकर नौजवान पैसा कमाएगा।”

वहीं संजय सिंह ने अग्निपथ योजना पर कहा, “इस योजना में 4 साल की नौकरी दे रहे हैं। सत्रह साल में एक नौजवान को आप सैनिक बना रहे हैं और 21 साल में उसी नौजवान को पूर्व सैनिक बना दे रहे हैं। इसपर दलील दे रहे हैं कि देश सेवा के लिए आइए, सेना नौकरी का जरिया नहीं है।”

अग्निवीर पर सुंधाशु त्रिवेदी क्या बोले: अग्निपथ योजना को लेकर सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “हम दुनिया के सबसे युवा देश हैं। लेकिन हमारी सेना सबसे कम युवा थी। विचित्र स्थिति यह थी हमारी सेना की औसतन उम्र 32 है। हमारी सेना में अधिकतर लोग 32 से ऊपर हैं।” उन्होंने कहा कि सेना में परिवर्तन को लेकर राजीव गांधी के जमाने से ही यह विषय शुरू हो गया था।

भाजपा सांसद ने कहा, “दुनिया के जो पांच बड़े देश हैं, जिनकी सेना बहुत शक्तिशाली मानी जाती है। जिसमें अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन, इजराइल जैसे कोई भी देश बताइये, जहां इस तरह की व्यवस्था न हो।”

बेरोजगारी पर सुधांशु ने किया सरकार का बचाव: सुधांशु त्रिवेदी ने सरकार की उपलब्धियों पर कहा, दुनिया में चीन के बाद मोबाइल कंज्यूम करने वाला भारत दूसरा सबसे बड़ा देश है। जब हमारी सरकार आई तो देश में मोबाइल हैंडसेट बनाने वाली सिर्फ 2 कंपनियां थी। सभी हैंडसेट बाहर से बनकर आते थे। लेकिन मोदी सरकार आने के बाद देश में 200 फैक्ट्रियां हैं। ऐसे में जाहिर सी बात है कि कोई जिन्न तो आकर बना नहीं रहा हैं, रोजगार सृजन हुआ ही है।

भाजपा सांसद ने कहा कि दुनिया में मोबाइल बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी सैंमसंग का दिल्ली के पास नोएडा में प्लांट है। डिफेंस प्रोडक्शन में हमने सबसे बड़ा परिवर्तन का काम किया। आज स्थिति ये बनी है कि पहली बार भारत ब्रह्मोस मिसाइल का निर्यात करेगा और फिलीपींस वो देश बना जो उसे खरीदेगा। जाहिर सी बात रोजगार का सृजन हुआ होगा तभी एक्सपोर्ट हुआ होगा।

उन्होंने कहा कि अब आंकड़ों की बात करें तो फरवरी के महीने में ही साढ़े 14 लाख लोगों ने एम्पलाई प्रॉविडेंट फंड में रजिस्ट्रेशन कराया है। उन्होंने कहा कि कोविड के इस दौर में दुनिया के टॉप देशों की, यहां तक कि जी-7 देशों की ग्रोथ दर भी निगेटिव रही है, उस दौर में भी हम इस परिस्थिति से निकले हैं।

सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “मार्च में जीएसटी कलेक्शन पहली बार 1.33 लाख करोड़ हुआ है। पहली बार डायरेक्ट कलेक्शन, इनडायरेक्ट टैक्स कलेक्शन से ऊपर हो गया है। इसका मतलब यह हुआ कि हम कोविड के बाद अब उभरकर सामान्य स्थिति में आते जा रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि कुछ दशक पहले केवल दो प्रतिशत की ही ग्रोथ होने के चलते भारत की ग्रोथ को हिंदू ग्रोथ रेट कहा जाता था। लेकिन मोदी सरकार के पिछले आठ वर्षों का आंकड़ा देख लीजिए तो डबल डिजिट का ग्रोथ देखने को मिलेगा।

क्या है हिंदू ग्रोथ रेट: दरअसल देश की आजादी के बाद से भारत की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी। देश की अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान थी। 1947 से अगले तीन दशक (1951-52 से 1979-80 तक) देश में विकास दर काफी सुस्त रही। इस अवधि में देश की औसत वार्षिक आर्थिक वृद्धि दर महज 3.5 प्रतिशत के आस-पास थी।

इसको देखते हुए सत्तर के दशक में जाने माने अर्थशास्त्री प्रोफेसर राज कृष्ण ने इस सुस्त विकास दर को ‘हिन्दू रेट ऑफ ग्रोथ’ नाम दिया। उनका कहना था कि हम कुछ भी कर लें लेकिन देश की ग्रोथ रेट इतनी ही रहती है। हालांकि विकास दर की इस धीमी रफ्तार में गति 1991 में आर्थिक सुधार और उदारीकरण की शुरुआत के बाद देखने को मिली।