राजौरी गार्डन विधानसभा उपचुनाव में छह उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, पर मुकाबला मुख्यत: त्रिकोणीय यानि भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच है। जनसत्ता संवाददाता ने इस क्षेत्र के लोगों का नब्ज टटोल कर इस त्रिकोणीय मुकाबले की गहराई समझने की कोशिश की तो पिछली विधानसभा में जबरदस्त बहुमत से जीती आप की जमीन कहीं न कहीं खिसकती नजर आई, वहीं कांग्रेस को लोग फिर से पुनर्जिवित करने की कोशिश में दिखे, जबकि भाजपा का उम्मीदवार मोदी लहर पर सवार दिखा। लेकिन यह लहर क्षेत्र के निम्न व मध्यवर्ग के बीच थोड़ी कमजोर जान पड़ी। इस संवाददाता ने राजौरी गार्डन, चांद नगर, विष्णुनगर और ख्याला क्षेत्रों का दौरा कर लोगों का नब्ज टटोला तो पता चला कि पिछली विधानसभा (2015) में शिरोमणी अकाली दल के मनजींदर सिंह सिरसा को 10 हजार वोटों से हराने वाले आप के जनरैल सिंह की छवि लोगों की नजर में भगोड़े की बन गई है और इसका खमियाजा आप के वर्तमान उम्मीदवार हरजीत सिंह को भुगतना पड़ सकता है। हालांकि, जो लोग हरजीत सिंह को करीब से जानते हैं उनके मुताबिक उनकी छवि अच्छी है, लेकिन सबका सवाल यही है कि छोटी से लालच में जो हमें छोड़कर पंजाब चला गया उसकी पार्टी के उम्मीदवार को वोट क्यों दें।
राजौरी गार्डन में एक बिल्डर (नाम न छापने की शर्त पर) ने कहा, ‘जिस माली को हमने यहां के पौधों को सींचने के लिए चुना था वह दूसरों के बगीचे में पानी डालने चला गया’। विस्थापित पंजाबियों का गढ़ राजौरी गार्डन में भाजपा के उम्मीदवार मनजींदर सिंह सिरसा का प्रभाव तो दिखा लेकिन लोगों ने बताया यहां के लोग वोट के लिए निकलते ही कहां हैं, मुश्किल से 35 फीसद वोटिंग होती है। राजौरी गार्डन के पॉश इलाके से निकलकर ख्याला जेजे कॉलोनी की तरफ रुख करने पर आम आदमी पार्टी के खिलाफ गुस्सा और स्पष्ट दिखा। ख्याला बी ब्लॉक मुसलिम बहुल इलाका है, आबादी निम्म और मध्यवर्गीय है और यहां बड़े पैमाने पर पुरानी साड़ियों को साफ और दुरुस्त कर बेचने लायक बनाने का काम होता है। यहां रहने वाले हाकिम उस्मान ने बताया कि लगभग साढ़े पांच हजार वोटर हैं और वोटिंग 70 से 75 फीसद होती है और इस वक्त जो उनके ब्लॉक और पड़ोस के ख्याला ए ब्लॉक (पोडवाल बहुल) का रुझान कांग्रेस की मीनाक्षी चंदेला की तरफ है।
उस्मान ने कहा कि चंदेलाओं ने इस क्षेत्र के लिए काफी काम किया है, जबकि जनरैल सिंह अपने दो साल के कार्यकाल में झांकने भी नहीं आए, उनके दफ्तर में जाने पर भी बदतमिजी से बात करते हैं लोग। याकूब खान ने भी यही बात दुहराई। उन्होंने कहा, ‘भ्रष्टाचार मुक्त दिल्ली की बात करने वाले केजरीवाल के विधायक चौपाल के नाम पर दो सालों में 35 लाख वसूल कर क्या किया पता नहीं, चंदेलाओं के बनाए चौपाल पर अपना नाम डाला लेकिन उसमें नाली की निकासी नहीं बनवा पाए। हमने आप को चुनने का खमियाजा भुगता है, अब वह गलती नहीं दुहराएंगे’। उस्मान ने दावा किया कि 90 फीसद से ज्यादा मुसलिम समुदाय इस बार कांग्रेस के पक्ष में है।
वहीं पास के चांद नगर के राम स्वरूप सिंह की आप से नाराजगी इस कटाक्ष में दिखी, ‘शक्ल ही नहीं देखी जनरैल सिंह की आज तक तो नाराजगी कैसी’। वरिष्ठ नागरिक सिंह मोदी के नोटबंदी से भी खफा दिखे। हालांकि, चांदनगर, शाहपुरा, विष्णुगार्डन सिक्ख समुदाय बहुल हैं और सिक्खों का रूझान समझना थोड़ा मुश्किल लगा। 1984 के सिक्ख दंगों से आज तक नाराज यह समुदाय कांग्रेस को समर्थन करने से अब भी हिचकता है, जबकि आप के प्रति भी कोई विशेष लगाव इस बार नहीं दिखा, ऐसे में शायद ये सिरसा में उम्मीद देख रहे हों।
कभी कांग्रेस (चंदेलाओं)का गढ़ रहा रजौरी गार्डन विधानसभा उपचुनाव दिल्ली की राजनीति के लिए अभी काफी अहम बना हुआ है। एक ओर यह जहां आप और भाजपा के लिए नाक और साख की लड़ाई है, वहीं कांग्रेस के लिए यह विधानसभा में वापसी या कहें कि दिल्ली में अपनी खोयी हुई जमीन की तलाश का जंग है। यह उपचुनाव इसलिए भी और अहम हो जाता है क्योंकि इसके परिणाम 13 अप्रैल को ही आ जाएंगे जिसका 23 अप्रैल को होने वाले नगर निगम चुनाव पर असर देखने को मिल सकता है। 9 तारीख को होने वाले मतदान की बागडोर 167991 वोटरों के हाथों में हैं जिसके लिए गुरूवार को सभी पार्टियों ने चुनाव प्रचार में अपनी जान झोंक दी। सिरसा के लिए वेंकैया नायडु, मनोज तिवारी और प्रवेश वर्मा ने रोड-शो किया, वहीं हरजीत सिंह के लिए अरविंद केजरीवाल ने रैली को संबोधित किया। शुक्रवार शाम चुनाव प्रचार थम जाएगा।