फेसबुक (Facebook), टि्वटर (Twitter) और इंस्टाग्राम (Instagram) सरीखे सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स से आगामी दिनों में आधार कार्ड (Aadhaar Card) लिंक होगा या नहीं? यह मसला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। दरअसल, सोमवार (19 अगस्त, 2019) को तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सोशल मीडिया प्रोफाइल्स को यूजर्स के आधार नंबर से लिंक किया जाना चाहिए, ताकि आतंकियों के मैसेज, पॉर्नोग्राफी और फेक न्यूज (फर्जी खबरों) पर लगाम लग सके।

वैसे, सुप्रीम कोर्ट फेसबुक इंक की उस याचिका पर सुनवाई पर राजी हुआ है, जिसमें यूजर्स के सोशल मीडिया अकाउंट को आधार नंबर से जोड़ने की मांग करने वाले केस को मद्रास, बंबई और मध्य प्रदेश के हाईकोर्ट्स से सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, गूगल ,ट्विटर, यूट्यूब और बाकी को नोटिस भेज कर 13 सितंबर तक जवाब देने को कहा।

न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायूर्मित अनिरुद्ध बोस की बेंच बोली कि जिन पक्षों को नोटिस जारी नहीं किए गए हैं उन्हें ई-मेल से नोटिस भेजे जाएं। बेंच ने आगे कहा- यूजर्स की सोशल मीडिया प्रोफाइल आधार से जोड़ने के मामले मद्रास हाईकोर्ट में पेंडिंग हैं, उन पर सुनवाई जारी रहेगी। पर कोई अंतिम फैसला नहीं दिया जाएगा।

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बता दें कि फेसबुक इंक तमिलनाडु सरकार के हाल में दिए गए सुझाव का विरोध कर रहा है। फेसबुक इंक का तर्क है कि 12 अंकों की आधार संख्या को शेयर करने से यूजर्स की गोपनीयता नीति का उल्लंघन होगा। फेसबुक इंक के मुताबिक, वह तीसरे पक्ष के साथ आधार संख्या शेयर नहीं कर सकता है, क्योंकि त्वरित मैसेजिंग ऐप वॉट्सऐप मैसेज को कोई और नहीं देख सकता है और यहां तक कि उनकी भी पहुंच नहीं है। (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)