आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने शादी का झूठा दिलासा देकर बलात्कार के मामले में एक बड़ी टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने कहा है कि एक समझदार महिला यह जानते हुए कि शादी की संभावनाएं बहुत कम हैं, इस वादे पर किसी पुरुष के साथ नहीं घूमेगी कि वह शादी करेगा। यह कहते हुए कोर्ट ने इस मामले में जारी कार्यवाही को रद्द भी कर दिया। इस मामले की सुनवाई जस्टिस श्रीनिवास रेड्डी कर रहे थे।
कोर्ट ने क्या कहा?
आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि शादी की संभावनाएं कम होने के बावजूद किसी पुरुष के इस वादे पर उसके साथ रहना कि वह शादी करने वाला है, किसी समझदार महिला की सोच नहीं हो सकती है। वह कभी उसके साथ ऐसे वादे की बिना पर नहीं घूम सकती है।
लीगल न्यूज़ वेबसाइट बार एंड बैंच के मुताबिक अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता एक उच्च योग्य महिला थी, जो किसी भी झांसे से अच्छी तरह अवगत हो सकती है। यहां यह देखना होगा कि जो भी हुआ वो सहमति के बिना था या नहीं, या इसमे बलात्कार के आरोप कितने सही साबित होते हैं।
कोर्ट ने रिकॉर्ड पर गौर करते हुए पाया कि एफआईआर से ही पता चला कि शिकायतकर्ता को पता था कि उनके बीच विवाह संभव नहीं था क्योंकि वे अलग-अलग जाति के थे। इस तथ्य पर ध्यान देते हुए कि शिकायतकर्ता आरोपी के साथ एकांत स्थानों और होटल के कमरों में गई थी, अदालत ने कहा कि ऐसी चीजें आमतौर पर तब होती हैं जब दो लोग किसी भी बात की परवाह किए बिना प्यार में पागल होते हैं। कोर्ट ने कहा कि इस आधार पर निष्कर्ष पर पहुंचना बहुत मुश्किल होगा कि शिकायतकर्ता ने सिर्फ आरोपी के वादों को उसका जुर्म माना है। क्योंकि यह जानना असंभव है कि सहमति देते समय शिकायतकर्ता के मन में क्या था, क्योंकि सहमति देने के लिए उसके पास कई कारण हो सकते हैं। कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ बलात्कार के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि पुलिस आरोपी के खिलाफ अन्य आरोपों की जांच आगे बढ़ा सकती है।