विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज ने अधिकारियों को जिस मुंबई इंजीनियर हामिद की मदद करने के निर्देश दिए हैं, वह प्‍यार में फंसकर पाकिस्‍तान पहुंच गया था। हामिद ने बॉर्डर पार करने की कोशिश की, मगर पकड़ा गया। तब ये वह पेशावार की सेंट्रल जेल में कैद है। पाकिस्‍तान ने पहले उसे जासूस बताया, फिर भारत के दबाव में उसकी बात मान ली गई। सेना की एक अदालत ने हामिद को फर्जी पाकिस्‍तानी पहचान पत्र रखने के जुर्म में तीन साल कैद की सजा सुनाई थी। तीन साल की सजा काट रहे हामिद पर पेशावर जेल में कई बार हमले हो चुके हैं। ‘वीर-जारा’ जैसी फिल्‍मी कहानी वाले हामिद की मदद को अब सुषमा आगे आई हैं। आइए आपको बताते हैं कि हामिद की यह क्रॉस बॉर्डर लव स्‍टोरी आखिर शुरू कैसे हुई और इस अंजाम तक कैसे पहुंची।

हामिद निहाल अंसारी की प्रेम कहानी शुरू होती है नवंबर 2012 से। 26 साल की उम्र में मुंबई में मैनेजमेंट टीचर की नौकरी करने वाले हामिद ने अपने परिवार से झूठ बोला। उसने परिवार को कहा कि उसके पास काबुल एयरपोर्ट पर नौकरी का ऑफर आया है। हामिद के मां-बाप उसकी सुरक्षा को लेकर वहां जाने के फैसले के खिलाफ थे, मगर हामिद ने कहा कि इससे उसका सीवी अच्‍छा हो जाएगा। करीब एक सप्‍ताह बाद जब वह काबुल पहुंचा, तो उसके माता-पिता से उसका संपर्क टूट गया। मां-बाप ने जब हामिद अंसारी का कंप्‍यूटर खोला, तो उनके होश उड़ गए। वह अपना फेसबुक और ईमेल अकाउंट खुला छोड़कर गया था। फेसबुक अकाउंट पर नजर डालने से उन्‍हें पता चला कि आखिर हुआ क्‍या है। हामिद इंटरनेट के जरिए पिछले दो साल से पाकिस्‍तान की एक लड़की के इश्‍क में गिरफ्तार था। शायना (काल्‍पनिक नाम) पाकिस्‍तान के ऐसे हिस्‍से में रहती है जहां ऑनर किलिंग आम बात है।

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ए‍क दिन, शायना ने अंसारी को बताया कि उसके मां-बाप को दोनों के रिश्‍तों के बारे में पता चल गया है। वे उसकी शादी किसी और से कराने जा रहे हैं। इसके बाद वह गायब हो गई। अपनी आखिरी फोन कॉल में शायना ने रोते-रोते उसे बताया कि उसकी बहन को उनकी रिलेशनशिप के बारे में पता चल गया है। शायना का फेसबुक अकाउंट डिलीट करा दिया गया। परेशान हामिद ने शायना का पता लगाने की हरमुमकिन कोशिश की। उसने वहां की एक और महिला से फेसबुक पर संपर्क साधा और शायना को ढूंढने की गुजारिश की, मगर वह महिला नाकाम रही। फिर हामिद ने खुद वहां जाकर शायना को बचाने का फैसला किया। हामिद ने दिल्‍ली में पाकिस्‍तानी उच्‍चायोग को कई फोन किए और कोहात का वीजा हासिल करने की कोशिश की। चूंकि वह एक रोटेरियन था, इसलिए किसी तरह उसने रोटरी क्‍लब की तरफ से पेशावार और कोहात के युवाओं से बात करने का आधिकारिक निमंत्रण हासिल कर लिया।

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पाकिस्‍तानी सरकार को इस बात की बिलकुल भनक नहीं थी। फिर वह मुंबई के एक एक्टिविस्‍ट जतिन देसाई से मिला। देसाई ने हामिद को साफ-साफ कहा कि वह कोहात नहीं जा जाएगा। वह संघर्ष क्षेत्र के ठीक बीचोबीच में हैं। इसके अलावा, वह एरिया ऑनर किलिंग के लिए जाना जाता है। देसाई ने हामिद से शायना को भूल जाने के लिए कहा। लेकिन अंसारी उस लड़की के पीछे पागल था, उसे कुछ और नजर ही नहीं आ रहा था। इसके बाद हामिद ने कुछ पाकिस्‍तानियों से कई बार बात की। उसके तीन पाकिस्‍तानी दोस्‍तों ने न सिर्फ उसे काबुल से कोहात तक गैरकानूनी रूप से बॉर्डर पार करने के लिए उकसाया, बल्कि विस्‍तार से उसे जानकारी भी दी। एक ने तो यहां तक कहा कि वह देर न करे और जल्‍द से जल्‍द आकर शायना को बचाए।

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हामिद ने बॉर्डर पार करने की कोशिश की, मगर पकड़ा गया।