बिहार में ‘चमकी’ (मस्तिष्कज्वर) सहित कथित अज्ञात बीमारी से बच्चों की मौत का कहर जारी है। रिपोर्ट्स की मानें तो अब तक 100 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है। रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे मुजफ्फरपुर स्थित एसकेएमसीएच पहुंचे और हालात का जायजा लिया। वहीं, बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय भी अस्पताल में पहुंचे। अब इस मामले को लेकर बिहार के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ मुजफ्फरपुर में केस किया है।
बीते एक पखवाड़े में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के कारण बच्चों की मौत के लिए लापरवाही बरतने के आरोप में मुजफ्फरपुर जिले की एक अदालत में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के खिलाफ सोमवार को मुकदमा दर्ज किया गया। यह मुकदमा सामाजिक कार्यकर्ता तमन्ना हाशमी ने मुजफ्फरपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) की अदालत में दायर किया। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की तिथि 24 जून तय की है।
याचिका में यह कहा गया है कि एईएस के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए हर्षवर्धन और मंगल पांडे अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहे। दोनों ने प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को जागरूक करने और संवेदनशील बनाने के लिए कुछ भी नहीं किया जबकि एईएस की वजह से कई वर्षों से यहां के बच्चे मर रहे हैं। हाशमी ने कहा कि उन्होंने हर्षवर्धन और मंगल पांडे के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 323, 308 और 504 के तहत मामला दर्ज करवाया है। उन्होंने कहा, “अनदेखी और तत्काल उपचार के लिए जरूरी आधारभूत सुविधाओं की कमी की वजह से काफी संख्या में बच्चों की मौत हुई है।”
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुजफ्फरपुर में एईएस से हुई बच्चों की मृत्यु पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। मुख्यमंत्री ने इस भयंकर बीमारी से मृत हुए बच्चों के परिजनों को मुख्यमंत्री राहत कोष से शीघ्र ही चार-चार लाख रूपये अनुग्रह अनुदान देने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग, जिला प्रशासन एवं चिकित्सकों को इस भयंकर बीमारी से निपटने के लिए हरसंभव कदम उठाने का निर्देश देने के साथ एईस से पीड़ित बच्चों के ज़ल्द स्वस्थ होने के लिये ईश्वर से प्रार्थना की है।