दुनिया भर के पार्लियामेंट बिल्डिंग्स में भारतीय संसद भवन अपेक्षाकृत नया है। 92 साल पहले 1927 में इसका निर्माण हुआ था। हालांकि अब केंद्र सरकार इसका कायाकल्प कर रही है। इसका दायरा सेंट्रल विस्टा तक प्रस्तावित है, जिसमें राष्ट्रपति भवन, केंद्रीय सचिवालय आदि शामिल हैं।

हालांकि, दुनियाभर के पार्लियामेंट बिल्डिंग्स छह से सात सदी पुराने हैं और आज भी कार्यशील हैं। इन भवनों के इंटीरियर्स में समय-समय पर बदलाव होता रहा है लेकिन गौरवशाली इतिहास का प्रतीक रहे इन भवनों को तोड़ा नहीं गया है।

13वीं सदी में बना डच संसद आज भी अच्छी हालत में है और कार्यशील है। द हेग में स्थित डच संसद का नाम बिनेनहॉफ है। नीदरलैंड की यह संसद दुनिया की सबसे पुरानी संसद है जो कार्यशील है। इस भवन में संसद के दोनों सदनों के हाउस हैं, जहां सांसद बैठकर कामकाज निपटाते हैं।

इटली की संसद रोम में स्थित है। 16वीं सदी में बनी इटैलियन संसद का नाम पलाजो माडमा है। इसका निर्माण मेडिसी फैमिली के आवास के लिए 1505 ईस्वी में हुआ था। इटैलियन संसद के दोनों सदनों का दफ्तर साल 1871 में इस बिल्डिंग में शिफ्ट हो गया था।

फ्रांस की संसद का नाम लक्जमबर्ग पैलेस है जो राजधानी पेरिस में स्थित है। राजशाही परिवार के आवास के लिए इस बिल्डिंग का निर्माण 1615 से 1645 ईस्वी के बीच में हुआ था। 1958 से फ्रांसीसी सीनेट की बैठकें यहां हो रही हैं। अभी भी यह अच्छी स्थिति में है।

19वीं सदी में दुनिया में दो देशों के संसद भवन बने। इनमें से एक अमेरिकी संसद भवन कैपिटोल है जो वाशिंगटन डीसी में अवस्थित है और दूसरा ब्रिटिश संसद भवन पैलेस ऑफ वेस्टमिन्स्टर है। यह लंदन में स्थित है। अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों की बैठक इस भवन में 1789 में शुरू हो गई थी लेकिन भवन का निर्माण कार्य 1800 ई. में पूरा हुआ। दोनों अमेरिकी महादेश में यह सबसे पुरानी विधायी भवन है।

ब्रिटिश संसद भवन जहां दोनों सदन हाउस ऑफ कामन्स एंड लॉर्ड्स की बैठकें होती हैं, उसका निर्माण कार्य 1840 और 1870 में पूरा हुआ था।

चीनी संसद भवन ग्रेट हॉल ऑफ पीपुल्स, जो राजधानी बीजिंग में स्थित है, का निर्माण 1959 में हुआ था। इस बिल्डिंग में दुनिया की सबसे बड़ी संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस बैठती है जिसके 2900 सदस्य हैं।

2.4 एकड़ में फैले भारतीय संसद भवन का निर्माण कार्य 1927 में पूरा हुआ था। इसकी संरचना और डिजायन एडविन लुटियन्स और हर्बर्ट बकर ने तैयार किया था। निर्माण कार्य 1921 में शुरू हुआ था जो 1927 तक चला था। उस समय इसकी निर्माण लागत करीब 83 करोड़ रुपये आई थी।