भारत के साथ संघर्षविराम समझौते को एकतरफा तरीके से रद्द करने वाले और बीते जून में घात लगाकर हमला कर 18 भारतीय सैनिकों की हत्या सहित कई सिलसिलेवार हमलों को अंजाम देने वाले नगा उग्रवादी संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड – खापलांग गुट पर केंद्र सरकार ने आज पांच साल के लिए पाबंदी लगा दी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में यहां हुई केंद्रीय कैबिनेट की एक बैठक में यह फैसला किया गया। केंद्रीय दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कैबिनेट बैठक के बाद यहां संवाददाताओं से कहा, ‘विस्फोटों, घात लगाकर किए जाने वाले हमलों और बमबारियों के लिए जिम्मेदार एनएससीएन-के को पांच साल की अवधि के लिए गैर-कानूनी संगठन घोषित कर दिया गया है।’

प्रसाद ने कहा कि इस नगा उग्रवादी संगठन की हालिया गतिविधियों को ध्यान में रखकर काफी विचार-विमर्श के बाद यह फैसला किया गया।

मार्च में संघर्षविराम समझौते से पीछे हटने के बाद म्यांमारी नागरिक एस एस खापलांग की अध्यक्षता वाले एनएससीएन-के ने मई महीने में परेश बरूआ की अगुवाई वाले उल्फा के धड़े सहित कई उग्रवादी संगठनों से गठजोड़ कर ‘यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट आॅफ वेस्ट साउथ ईस्ट एशिया’ नाम की एक संस्था बनाई।

एनएससीएन-के पर प्रतिबंध ऐसे समय में लगाया गया है जब मणिपुर में चार जून की घटना, जिसमें थलसेना के 18 जवान शहीद हो गए थे, की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने खापलांग के बारे में सूचना देने वाले को सात लाख रूपए का इनाम और उसके एक प्रमुख सहयोगी निकी सुमी के बारे में सूचना देने वाले को 10 लाख रूपए का इनाम देने की घोषणा की।

खापलांग एक म्यांमारी नगा है और समझा जाता है कि वह अभी म्यांमा के सीमाई शहर टागा में है । एनएससीएन-के के पास करीब 1,000 कार्यकर्ता हैं और इसके कई शिविर सीमा पार हैं । भारतीय थलसेना के जवानों ने नौ जून को इनमें से कुछ शिविरों पर हमला किया था ।