भारत में हाथियों को बंधक बनाकर रखे जाने के चौंकाने वाले आंकड़ें सामने है। देशभर में बंधक बनाकर रखे गए 2,454 हाथियों में आधे से ज्यादा सिर्फ केरल और असम में हैं। बंधक बनाकर रखे गए एक तिहाई हाथियों को मालिकाना हक प्रमाण पत्र के बिना निजी हिरासत में रखा गया है। इसके अलावा चिड़ियाघर, सर्कस और मंदिर 207 हाथियों को कैद कर रखा गया है। पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए एक हलफनामें में यह जानकारी सामने आई है। भारत में हाथियों की मौत में लगातार हो रही बढ़ोतरी और मानव व हाथियों की बीच बढ़ते संघर्ष के चलते यह रिपोर्ट सामने आई है। केरल और असम में मानव और इंसानों के बीच संघर्ष पिछले कई महीनों से सुर्खियों में रहा है।

हलफनामा दाखिल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण और वन मंत्रालय को बंधक बनाए गए हाथियों की पहचान करने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा यह भी जांचने को कहा है कि निजी तौर पर जिनके पास हाथी हैं क्या उनके पास इसका अनुमति प्रमाण पत्र है। जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस एस अब्दुल नजीर वाली सुप्रीम कोर्ट की खंडपीड ने राज्यों के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को निर्देश दिए है कि बंधक बनाए गए सभी हाथियों की उम्र पता लगाएं। कोर्ट इस मामले में अब अगली सुनवाई 12 फरवरी को करेगा।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए हलफनामें के मुताबिक 2,454 हाथियों को विभिन्न राज्यों में बंधक बनाकर रखा गया है। इनमें 560 वन विभाग के कब्जे में हैं जबकि 1,687 निजी स्वामित्व के पास है। हलफनामें के अनुसार देश में कुल बंदी हाथियों में से 664 मालिकाना हक के बिना हैं, जबकि चिड़ियाघरों में 85, सर्कस में 26 और मंदिरों में 96 हैं। मंत्रालय ने कोर्ट को यह भी बताया गया कि बंदी बनाकर रखे गए हाथियों की 58 फीसदी संख्या सिर्फ असम और केरल में हैं। इन दोनों राज्यों में क्रमश: 905 और 518 हाथियों को बंधक बनाकर रखा गया है।