जदयू प्रमुख नीतीश कुमार द्वारा बिहार में भाजपा के साथ अपना गठबंधन तोड़ने के हफ्तों बाद शुक्रवार को मणिपुर के छह जनता दल (यूनाइटेड) विधायकों में से पांच सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। इसके साथ ही 2014 से भाजपा में शामिल होने के लिए अपनी पार्टियों को छोड़ने वाले विधानसभा सदस्यों और सांसदों की संख्या 211 पहुंच गई है। राज्य में जदयू के एकमात्र विधायक जो भाजपा में शामिल नहीं हुए हैं, वह लिलोंग से विधायक मोहम्मद नासिर हैं।

भाजपा ने इस साल की शुरुआत में हुए विधानसभा चुनावों में मणिपुर की 60 में से 32 सीटें जीती थीं और उसे विधानसभा में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) का भी समर्थन हासिल है। अब पार्टी में जदयू के पांच विधायक भी शामिल हो गए हैं। मणिपुर के इस सियासी घटनाक्रम को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा पिछले महीने भाजपा से गठबंधन तोड़ने के परिणाम के तौर पर देखा जा रहा है।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के विश्लेषण से जानकारी निकलकर सामने आई है कि 2014 में केंद्र में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से लेकर 2022 तक 211 विधायक और सांसद भाजपा में शामिल हुए हैं। दूसरी ओर, इस दौरान 60 सांसदों (विधायक और सांसदों) ने भाजपा छोड़ी। विपक्षी दल भाजपा पर अपने “संसाधनों”, प्रलोभनों के साथ-साथ सरकारी एजेंसियों के इस्तेमाल के भी आरोप लगाते रहे हैं।

मणिपुर के हालिया सियासी घटनाक्रम के बाद जेडीयू ने भाजपा पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि भाजपा ने विधायकों को जदयू से अलग करने के लिए अपने संसाधनों का इस्तेमाल’ किया है। इस बीच, भाजपा जदयू सहित विपक्षी दलों पर अपने विधायकों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करने का आरोप लगाती है।

कांग्रेस को बड़ा नुकसान

एडीआर रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक,कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका लगा है। पार्टी के सबसे ज्यादा विधायकों और सांसदों ने कांग्रेस छोड़ी है। 2014 से 2021 तक यह संख्या 177 है और इस साल गोवा, मणिपुर, उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव से पहले 20 और इसमें जुड़ गए हैं। इनमें से 84 ने भाजपा का हाथ थामा है, जिनमें 2021 तक 76 और इस साल विधानसभा चुनावों के करीब 8 नेता कांग्रेस छोड़ भाजपा भाजपा में शामिल हुए।