गांवों में रोजगार देने वाली केंद्र सरकार की प्रमुख रोजगार योजना मनरेगा के फंड में कमी हो गई है। चालू वित्तीय वर्ष में पांच महीने से ज्यादा का समय बचे होने के बावजूद करीब 21 राज्यों के पास मनरेगा का फंड ख़त्म हो गया है। फंड ख़त्म होने से उन लाखों-करोड़ों मजदूरों की समस्या बढ़ने वाली है. जिन्हें इससे रोजगार मिलता है।

मनरेगा में फंड की कमी होने पर कांग्रेस प्रवक्ता ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है और कहा है कि त्योहार के मौसम में लोगों से बेगार कराया जा रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता गौरव बल्लभ ने मनरेगा में फंड की कमी से जुड़े एक आर्टिकल को शेयर करते हुए लिखा कि शुभ प्रभात, 2021-22 वित्तीय वर्ष में 21 राज्यों ने मनरेगा के तहत आवंटित की गई राशि पूरी खर्च कर ली है. यह करोड़ों मनरेगा श्रमिकों के लिए बेगार है और वह भी त्योहार के मौसम के दौरान।  

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए मनरेगा का बजट 73,000 करोड़ पर निर्धारित किया गया था। केंद्र सरकार ने बजट का आवंटन करते हुए तर्क दिया था कि देश में लॉकडाउन लगभग ख़त्म हो चुका है। इसलिए अगर बीच में ही आवंटित बजट पूरी तरह से खर्च हो जाता है तो अनुपूरक बजटीय आवंटन उपलब्ध किया जाएगा। बीते 29 अक्टूबर तक मनरेगा का पूरा खर्च 79,810 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है जिसमें बचे हुए वेतन का भुगतान भी शामिल है। 21 राज्यों के मनरेगा फंड में मौजूद राशि नकारात्मक हो गई है। जिसमें आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल की स्थिति सबसे ख़राब है।

वहीं इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार मनरेगा पोर्टल पर दिए गए आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 30 अक्टूबर तक 71,520.69 करोड़ रुपये की उपलब्धता के मुकाबले 70,135.57 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। हालांकि चालू वित्त वर्ष के दौरान 30 अक्टूबर तक वेतन भुगतान, सामग्री और प्रशासनिक खर्च के कारण 10,087.06 करोड़ रुपये अधिक बकाया है। जिससे मनरेगा फंड में कुल 8,701.94 करोड़ रुपए की कमी हुई है।

गौरतलब है कि मनरेगा योजना के तहत हर परिवार को 100 दिन का रोजगार दिया जाता है. ताकि वे अपनी आजीविका चला सकें। पिछले वित्तीय वर्ष में करीब 11 करोड़ से अधिक लोगों ने इस योजना का लाभ उठाया था। इस साल भी करीब 8.57 करोड़ लोगों को इस योजना के तहत रोजगार दिया गया है।