बिहार के बक्सर सेंट्रल जेल को फांसी के फंदे बनाने में महारत हासिल है। देश में जब भी किसी जेल में किसी कैदी को फांसी दी जाती है तो उसमें इस्तेमाल होने वाला फंदा बक्सर सेंट्रल जेल से ही आता है। एक फांसी का फंदा 7200 कच्चे धागों से बनता है। 16 फीट की यह रस्सी कपास से बनी है, और इसे नरम रखने के लिए पर्याप्त नमी में रखा जाता है। बक्सर सेंट्रल जेल से ऐसे ही 10 फांसी के फंदे राजधानी दिल्ली की तिहाड़ जेल में सप्लाई किए जाएंगे।

यह जानकारी 16 दिसंबर, 2012 गैंग रेप मामले के आरोपी की दया याचिका राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के पास भेजने के बाद आई है। दिल्ली सरकार ने गैंगरेप के दोषी की दया याचिका खारिज करने की बात कहते हुए याचिका केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी थी जिसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया था। इतना ही नहीं फंदे तैयार करने का निर्देश देने के अलावा तिहाड़ ने जल्लाद के लिए उत्तर प्रदेश से संपर्क किया है। बक्सर जेल को आखिरी बार 2013 में संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी के लिए रस्सी के लिए कहा गया था।

बक्सर जेल अधीक्षक विजय कुमार अरोड़ा ने कहा, “फांसी के फंदे तैयार करने के हमें पटना स्थित जेल मुख्यालय से हमें मौखिक निर्देश मिले थे। फंदे तैयार हैं, एक फंदे का वजन 1.5 किलोग्राम है और इसकी कीमत 2,120 रुपये है। बक्सर जेल में फंदे बनाने की यह वस्था अंग्रेज सरकार के समय से चलती आ रही है। क्षेत्र को एक औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित किया गया था, क्योंकि भूमि कपास की खेती के लिए उपयुक्त थी। चूंकि यह शहर गंगा के तट पर स्थित है, इसलिए इसकी कपास की गुणवत्ता में ऐसी रस्सियां बनाने के लिए आवश्यक नमी शामिल थी।

अरोड़ा ने बताया, “बक्सर जेल में लंबे समय से फांसी के फंदे बनाए जाते हैं और एक फांसी का फंदा 7200 कच्चे धागों से बनता है। उसे तैयार करने में दो से तीन दिन लग जाते हैं जिसपर पांच-छह कैदी काम करते हैं तथा इसकी लट तैयार करने में मोटर चलित मशीन का भी थोड़ा उपयोग किया जाता है।” बता दें फांसी के लिए मनीला रस्सी का इस्तेमाल किया जाता है। इस रस्सी को तैयार करने के लिए 172 धागों को मशीन में पिरोकर घिसाई की जाती है। मजबूत धागा बनाने के लिए जे-34 किस्म की रुई का इस्तेमाल किया जाता है।