इशरत जहां मुठभेड़ मामले में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। गृह मंत्रालय में अंडर सेक्रेटरी रहे आरवीएस मणि ने एक साक्षात्कार में आरोप लगाया कि उन्हें मामले में वरिष्ठ आईबी अधिकारियों को फंसाने के लिए प्रताड़ित किया गया था। ताकि यह पेश किया जा सके कि इशरत और अन्य तीन लश्कर आतंकवादियों के साथ 2004 में अहमदाबाद में हुई मुठभेड़ फर्जी थी। मणि ने आरोप लगाया कि बात न मानने पर एसआईटी के एक अधिकारी ने उनकी पेंट सिगरेट से दाग दी थी। बता दें कि मणि ने ही इस मामले में दो एफिडेविट दायर किए थे।
उन्होंने एक अंग्रेजी चैनल से बातचीत में यह दावा किया। माणी ने कहा कि इशरत जहां केस में पहला हलफनामा मैंने ही बनाया था अपने दो अधिकारियों के साथ मिलकर और इसे तथ्यों के आधार पर ही तैयार किया गया था। जब उनसे पूछा गया कि क्या वो मानते हैं कि इशरत जहां और उनके साथ मारे जाने वाले लोग आतंकी थे इस सवाल उन्होंने कहा कि देखिये मेरे मानने से कुछ नहीं होता और हम कागजों के अनुसार सत्य और असत्य को मानते हैं पहले हलफनामे में तो यही था। पहले हलफनामे पर हस्ताक्षर करने से पहले मुझे गृह मंत्री से इसकी अनुमति मिली थी।
जब उनसे पूछा गया कि क्या आपने दूसरा हलफनामा ड्राफ्ट किया था इस पर उन्होंने इनकार करते हुए कहा कि नहीं मैंने नहीं ड्राफ्ट किया लेकिन मुझसे हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया तो मैंने हस्ताक्षर कर दिया था। यह सरकार की तरफ से आदेश था तो मैंने इसका पालन किया। जब उनसे पूछा गया कि किसने ये लेटर ड्राफ्ट किया तो माणी ने कहा कि इसे मैंने ड्राफ्ट नहीं किया मेरे दो सीनियर अधिकारियों ने भी इसे ड्राफ्ट नहीं किया अब इसे किसने ड्राफ्ट किया इसका पता तो आप को ही करना होगा। मणि का कहना था कि दूसरा हलफनामा दाखिल करने के फैसले के पीछे चिदंबरम थे।
वहीं इस मामले में भाजपा ने आक्रामक रूख अख्तियार कर लिया है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘ तत्कालीन गृह सचिव के बयानों से पर्याप्त संदेह उत्पन्न हुआ जिसकी अंडर सेक्रेटरी ने भी पुष्टि की है कि चिदंबरम ने उन्हें परे रखकर निर्णय लिया और पूरे मामले को बदल दिया।’ उन्होंने आरोप लगाया कि चिदंबरम ने ऐसा कांग्रेस आलाकमान के इशारे पर किया।