अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडीस की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। 22 अक्टूबर को जैकलीन की पेशी थी, जिसके बाद उनकी अंतरिम जमानत 10 नबंवर तक के लिए बढ़ा दी गई है। वहीं, दूसरी तरफ प्रवर्तन निदेशालय ने उनकी बेल का विरोध किया है। ईडी का कहना है कि वह 200 करोड़ रुपए के मनी लॉन्ड्रिंग के केस में दखल दे सकती हैं।
जैकलीन की बेल के खिलाफ ईडी की तरफ से दिए गए जवाब में बड़ा खुलासा हुआ है। ईडी ने आरोप लगाया कि जैकलीन ने जांच के दौरान सबूतों के साथ छेड़छाड़ की थी और उन्होंने अपने फोन से डेटा डिलीट किया था। उन्होंने यह भी कहा कि जैकलीन ने देश छोड़कर फरार होने की भी कोशिश की थी।
ईडी की ओर से विशेष लोक अभियोजक शैलेश एन पाठक ने पटियाला हाउस कोर्ट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शैलेंद्र मलिक के समक्ष जमानत याचिका के विरोध में आरोप लगाया कि जैकलीन ने भारत से भागने की असफल कोशिश भी की थी। पाठक ने कहा कि उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी हुआ था, इसलिए आव्रजन अधिकारियों ने उन्हें देश छोड़ने की अनुमति नहीं दी।
एजेंसी ने कहा कि जैकलीन कोई सामान्य व्यक्ति नहीं बल्कि एक अभिनेत्री हैं। उनके पास आय के विभिन्न स्त्रोत हैं और एक ऊंचा कद होने की वजह से वह समाज को प्रभावित करती हैं। यह भी आरोप लगाया कि फर्नांडीस आर्थिक रूप से मजबूत हैं और ऐसे मामलों में चल रही जांच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना अधिक है और इसलिए वह जमानत पर रिहा होने के योग्य नहीं है।
एजेंसी ने आरोप लगाया कि फर्नांडीस ने कभी भी जांच में सहयोग नहीं किया है और सबूतों के सामने आने पर ही उन्होंने खुलासे किए हैं। इसमें इस आरोप की ओर भी इशारा किया गया कि फर्नांडीस ने खुद भी सबूत मिटाए थे और इस घटना में शामिल अन्य लोगों को भी सबूत मिटाने की सलाह दी थी।
ईडी ने कहा कि जैकलीन का रवैया जांच के दौरान ठीक नहीं रहा है। वह सबूतों और गवाहों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इन दलीलों के साथ ईडी ने जैकलीन को बेल दिए जाने का विरोध किया।