कर्नाटक और गोवा में बड़े पैमाने पर विधायकों का दल-बदल और सरकार का गिरना चर्चा में है। हालांकि, यह दल-बदल का 1967 में हरियाणा में हुए दल-बदल के आगे कुछ भी नहीं है। भारतीय राजनीति की स्वर्णिम आभा पर दलबदल की छाया पड़नी शुरू ही हुई थी। इस प्रक्रिया में हरियाणा के हसनपुर (सुरक्षित) से विधायक गया लाल के संदर्भ में ही भारतीय राजनीति के प्रचलित मुहावरे ‘आया राम, गया राम’ की शुरुआत हुई है।

फरवरी का महीना था, माहौल में बिल्कुल राजनीतिक अस्थिरता महसूस की जा रही थी। इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पहली बार सबसे कम सीटें (520 में 283) जीतकर सत्ता में पहुंची थी। पार्टी के बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, उड़िसा (अब ओडिशा), मद्रास (अहब तमिलनाडु) के विधानसभा चुनावों में बड़ा झटका लगा था। हरियाणा 1 नवंबर 1966 में पंजाब से अलग होकर नया राज्य बना था।

राज्य के पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 81 में से 48 सीटें जीतकर बहुत कम बहुमत से सरकार बनाई थी। इस चुनाव में भारतीय जन संघ को 12 सीटें, स्वतंत्र पार्टी को 3 और रिपब्लिकन पार्टी को 2 सीटें मिली थीं। 16 सीटों के साथ निर्दलीय विधायकों का धड़ा दूसरे सबसे बड़ा समूह था। कांग्रेस की तरफ से भगवत दयाल शर्मा ने मुख्यमंत्री के रूप में 10 मार्च 1967 में शपथ ली।

12 विधायकों ने छोड़ी कांग्रेस पार्टीः  एक सप्ताह के भीतर ही पार्टी के 12 विधायकों के दल बदल के कारण सरकार गिर गई। इन विधायकों ने ‘हरियाणा कांग्रेस’ के नाम से अपना एक अलग समूह बना लिया। निर्दलीय विधायकों ने भी ‘यूनाइटेड फ्रंट’ नाम से एक समूह बना लिया। इस प्रक्रिया में यूनाइटेड फ्रंट के तहत विधायकों की संख्या 48 विधायकों तक पहुंच गई। विपक्षी दलों ने मिलकर संयुक्त विधायक दल बनाया।

 राव बीरेंद्र सिंह बने नए मुख्यमंत्रीः नतीजतन, 24 मार्च को, राव बीरेंद्र सिंह (वर्तमान केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के पिता) ने संयुक्त विधायक दल (एसवीडी) के बैनर तले सीएम के रूप में पदभार संभाला। राव ने कांग्रेस के टिकट पर पटौदी से चुनाव जीता था। हालांकि, अनिश्चितता के उन दिनों को परिभाषित करने वाला कोई एक व्यक्ति था, तो वह विधायक गया लाल थे। 9 घंटे के भीतर, इस विधायक ने दो बार पाला बदला- कांग्रेस में आए, फिर कांग्रेस छोड़ी और 15 दिन के अंदर संयुक्त मोर्चा में चले गए।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहली बार कहे शब्दः  भगवत दयाल शर्मा को सत्ता से बाहर करने के बाद चंडीगढ़ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गया लाल को पेश करते हुए, राव बीरेंद्र ने पहली बार कहा कि “गया राम अब आया राम” है। तत्कालीन गृह मंत्री वाई बी चव्हाण ने बाद में संसद में इस वाक्यांश का इस्तेमाल राजनीतिक दलबदल के लिए किया था। हालांकि, राव की सरकार भी कुछ ही महीनों तक चली थी। 2 नवंबर को उन्हें पद छोड़ना पड़ा। इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।

1982 में गया लाल ने लड़ा आखिरी चुनावः इस बीच गया लाल के पार्टी बदलने क्रम जारी रहा। यूनाइटेड फ्रंट के बाद गया लाल का अगला ठिकाना आर्य सभा रहा। दो साल बाद उन्होंने चरण सिंह के नेतृत्व वाले लोकदल में अपना ठिकाना खोज लिया। इसके बाद उन्होंने 1977 में जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते। गया लाल ने अपना अंतिम चुनाव 1982 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ा था। इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 2009 में गया लाल का निधन हो गया।

दो सप्ताह तक विधायकों को कराया भारत दर्शनः इसके लंबे समय बाद एक बार फिर हरियाणा में 5 स्टार दल बदल हुआ जिसने देश को राह दिखाई। 1979 में भजन लाल को तत्कालीन मुख्यमंत्री जनता दल देवी लालसे चुनौती का सामना करना पड़ रहा था। भजन लाल असंतुष्ट विधायकों को ‘भारत दर्शन’ पर लेकर गए थे। दो सप्ताह तक विधायकों का यह समूह एक लग्जरी बस और कारों के बेड़े के साथ अलवर, कोटा, आगरा, ग्वालियर, शिवपुरी, भोपाल, कानपुर, कोलकाता और मुंबई की सैर करता रहा।

[bc_video video_id=”5849806450001″ account_id=”5798671092001″ player_id=”JZkm7IO4g3″ embed=”in-page” padding_top=”56%” autoplay=”” min_width=”0px” max_width=”640px” width=”100%” height=”100%”]

इस दौरान ये विधायक भजन लाल के साथ हेरिटेज होटलों और रिसॉर्ट में ठहरे। इसका फायदा भी भजन लाल को हुआ। 29 जून 1979 को वह हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। इंदिरा गांधी के सत्ता में आने के बाद भजन लाल ने जनता पार्टी की पूरी सरकार का कांग्रेस सरकार के रूप में बदल दिया। उनके साथ पार्टी के 37 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए।