धार्मिक जगाहों पर महिलाओं से भेदभाव के खिलाफ आंदोलन कर रही भूमाता ब्रिगेड की 150 महिलाएं सोमवार को नासिक में संघर्ष करने के मूड में हैं। महिलाएं महाशिवरात्रि का अवसर पर नासिक स्थित त्रयम्बकेश्वर महादेव मंदिर के गृभगृह में प्रवेश करना चाहती थी। मंदिर के गृभ गृह में महिनाओं का प्रवेश वर्जित है। बिग्रेड की मुखिया तृप्ती देसाई इससे पहले 26 जनवरी को अहमदनगर स्थित शनि शिंगनापुर मंदिर में भी प्रवेश को लेकर बड़ा आंदोलन कर चुकी हैं।
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक प्राचीन मंदिर त्रयम्बकेश्वर नासिक से 30 किमी दूर त्रयम्बेक कस्बें में स्थित है। देश में आतंकवादी हमले को लेकर जारी किए गये हाई अलर्ट और महाशिवरात्रि के त्यौहार के कारण मंदिर को पहले से ही किले में बदल दिया गया था। देसाई करीब 150-175 आंदोलनकारियों के साथ पुणे से मंदिर के गृभ-गृह में प्रवेश करने के उद्देश्य से निकली हैं।
Activists of Bhumata Brigade reach Narayangaon, en route to Trimbakeshwar Temple in Nashik (Maharashtra) pic.twitter.com/J46IvXRKcj
— ANI (@ANI_news) March 7, 2016
देसाई ने कहा कि हमें मुख्यमंत्री फडणवीस का समर्थन प्राप्त है। इसलिए हमें उम्मीद है कि, “पिछली बार की तरह इस बार पुलिस हमें रास्ते में नहीं रोकेगी। सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए पुलिस ने हमसे बसों में नहीं आने का आग्रह किया था इसलिए हम छोटे वाहनों से मंदिर जा रहे हैं। अतंरराष्ट्रीय महिला दिवस और महाशिवरात्री के अवसर पर हमें मंदिर के अंदर जाने से रोकना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।” 26 जनवरी को हुए हंगामें को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने भारी बल तैनात कर रखा है। इसी बीच दक्षिणपंथी महिला संगठन महिला दक्षता समिति, शारदा महिला मंडल, मंदिर के पुरोहित और स्थानीय लोग आंदोलनकारी महिलाओं को मंदिर में घुसने से रोकने के लिए सामने आ गये हैं।
Locals oppose entry of a Bhumata Brigade supporter in Trimbakeshwar temple in Nashik (Maharashtra) pic.twitter.com/tp1uf0AcPg
— ANI (@ANI_news) 7 March 2016
मंदिर के ट्रस्ट के सदस्य कैलाश गुले ने कहा कि मंदिर को गृभ-गृह में महिलाओ के प्रवेश पर रोक सालों पुरानी परंपरा है। यह अभी लागू नहीं किया गया। मंदिर बाहर से पूजा कर सकती है। पुरुषों के भी सुबह 6-7 बजे मंदिर के गृभ-गृह में प्रवेश वर्जित है। परंपराओं के अनुसार गृभ-गृह जहां शिव लिंग है वहां सिर्फ पुरुष ही प्रवेश कर सकते हैं। और लिंग का श्रंगार आदी कार्य करते हैं। मंदिर के पुजारियों का कहना है कि ज्यादातर महिला श्रद्धालु मंदिर की परंपरा तोड़ना नहीं चाहती। देसाई शनि मंदिर के बाद अब शिव मंदिर के गर्भ-गृह में में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दें को अभी और गर्म करने के मूड में दिखाई दे रही हैं।