ऑपरेशन सिंदूर में भारत की तीनों ही सेनाओं ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया था। 9 आतंकी ठिकानों को पूरी तरह ध्वस्त किया गया। इस ऑपरेशन में भारतीय नौसेना ने भी एक अहम भूमिका निभाई, वो सक्रिय रूप से शामिल नहीं हुई, लेकिन उसकी उपस्थिति मात्र ने ही पाकिस्तान को कई कदम पीछे धकेल दिया।
पाकिस्तान को कैसे सबक सिखाती नेवी?
इसी बारे में वॉइस एडमिरल तरुण सोबती ने एक कार्यक्रम में बड़ा बयान दिया है। उनके मुताबिक जब ऑपरेशन सिंदूर शुरू हुआ था, एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत पर 15 मिग 29 के फाइटर जेट तैयार कर दिए गए थे।
96 घंटे में नेवी ने क्या किया था?
वॉइस एडमिरल सुबती के मुताबिक मात्र 96 घंटे के अंदर ही जितने भी ऑपरेशनल जहाज नौसेना के पास थे, वे समुद्र में तैनात हो चुके थे। सुबती के अनुसार भारतीय नेवी का सिर्फ एक ही काम था- पूरे समय फॉरवर्ड और डिटरेंट पाश्चर बनाए रखना था जिससे विरोधी देश की नौसेना भारत के व्यापार मार्गों को बाधित ना कर सके या किसी भी तरह की धमकी ना दे पाए। सोबती की माने तो भारतीय नौसेना की रणनीति पूरी तरह सफल रही क्योंकि पाकिस्तान की नौसेना अपने तट के पास ही सीमित रह चुकी थी। उसकी बाहर निकालने की हिम्मत ही नहीं हो पाई।
आर्मी प्रमुख ने क्या बताया था?
वैसे इससे पहले सीडीएस अनिल चौहान ने मध्य प्रदेश के आर्मी वॉर कॉलेज, महू में आयोजित प्रथम त्रि-सेवा संगोष्ठी, रण संवाद को संबोधित किया था। उन्होंने कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर एक आधुनिक संघर्ष था जिससे हमने कई सबक सीखे और उनमें से ज़्यादातर पर अमल हो रहा है, कुछ पर अमल हो चुका है। सीडीएस ने यह भी कहा कि हमने हमेशा एक ही सांस में ‘शस्त्र’ और ‘शास्त्र’ के बारे में बात की है। वे वास्तव में एक ही तलवार के दो ब्लेड हैं।
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