कर्नाटक सरकार अब आईटी कर्मचारियों के काम के घंटे बढ़ाकर 14 घंटे प्रतिदिन करने की योजना बना रही है। इस कदम का जमकर विरोध हो रहा है। इससे पहले कर्नाटक सरकार के प्राइवेट सेक्टर को कन्नड़ लोगों के लिए नौकरियां आरक्षित करने का निर्देश देने वाले एक विधेयक पर भारी हंगामा जारी है।

काम के घंटे 14 घंटे करने पर विचार के लिए कर्नाटक राज्य सरकार दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम, 1961 में संशोधन पर विचार कर रही है और एक बैठक के दौरान यह प्रस्ताव रखा गया है। यह जानकारी केआईटीयू ने दी है।

आईटी कर्मचारियों का विरोध शुरू

अगर इसे लागू किया जाता है तो एक हफ्ते में 70 घंटे काम करने का सबसे ज़्यादा प्रभाव बेंगलुरु पर पड़ेगा। यह शहर देश की आईटी हब और राजधानी के तौर पर जाना जाता है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली सरकार ने अभी तक इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहा है। ऐसा माना जा रहा है कि सरकार ने इस प्रस्ताव को लाने की पूरी तैयारी कर ली है । फिलहाल सरकार की तरफ से किसी तरह का आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।

कर्नाटक राज्य आईटी/आईटीईएस कर्मचारी संघ (केआईटीयू) ने कहा कि यह संशोधन इस युग में मजदूर वर्ग पर अब तक का सबसे बड़ा हमला है, और इससे कम्पनियों को तीन-शिफ्ट प्रणाली को खत्म कर दो-शिफ्ट प्रणाली अपनाने की अनुमति मिल जाएगी जिससे बड़ी तादाद में लोगों की नौकरियां जाएंगी।

इस प्रस्ताव पर हुई बैठक के दौरान जिसमें कर्नाटक के श्रम मंत्री संतोष एस लाड और श्रम तथा सूचना प्रौद्योगिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी विभागों के अधिकारी भी शामिल हुए, केआईटीयू ने कहा कि उन्होंने आईटी कर्मचारियों की मेंटल हेल्थ से जुड़ी हुई दिक्कतों पर सभी का ध्यान दिलाने की कोशिश की है। इससे कर्मचारियों के जीवन पर बहूत बढ़ा प्रभाव पड़ेगा। इस पूरे मसले पर कर्मचारी संघ ने विरोध की जानकारी भी दी है और कर्मचारी सरकार के खिलाफ धरना भी दे सकते हैं। फिलहाल प्रस्ताव को लेकर ऐलान नहीं हुआ है।